सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को अनुच्छेद 142 के तहत अधिकार देने की याचिका खारिज की
Shahadat
23 April 2025 4:05 AM

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (22 अप्रैल) को वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें मांग की गई थी कि हाईकोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट के समान अधिकार दिए जाएं, जिससे वे फुल जस्टिस करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित कर सकें।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में की गई प्रार्थना गलत धारणा पर आधारित है और अनुच्छेद 142 के तहत अधिकार केवल सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हैं, उच्च न्यायालयों को नहीं।
न्यायालय ने कहा,
“इस याचिका में की गई प्रार्थना पूरी तरह से गलत धारणा पर आधारित है। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दिए गए अधिकार केवल इस न्यायालय को दिए गए, हाईकोर्ट को नहीं।”
सुनवाई के दौरान जस्टिस ओक ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित याचिकाकर्ता पंकज के फडनीस से कहा,
"आपकी प्रार्थना है कि हमें हाईकोर्ट को अनुच्छेद 142 के तहत इस न्यायालय की शक्ति प्रदान करनी चाहिए। क्या संविधान में संशोधन किए बिना ऐसा किया जा सकता है? हम संविधान के कुछ हिस्से को रद्द कर सकते हैं, लेकिन हम संविधान में संशोधन नहीं कर सकते। यह प्रार्थना स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।"
याचिकाकर्ता ने कहा कि संविधान पीठ इस मुद्दे पर निर्णय ले सकती है।
जस्टिस ओक ने जवाब दिया कि संविधान पीठ संविधान में संशोधन नहीं कर सकती।
याचिकाकर्ता ने इस पर पूछा,
"मैं कहां जाऊं?"
जस्टिस ओक ने जवाब दिया,
"आप संसद जाएं। हम संविधान में संशोधन नहीं कर सकते।"
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि अनुच्छेद 226 की व्याख्या अनुच्छेद 142 के समान करने का विकल्प हो सकता है, लेकिन जस्टिस ओक ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के एमिक्स क्यूरी की नियुक्ति के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने संविधान के अनुच्छेद 142 के अनुसार उसके द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करने के लिए हाईकोर्ट को निर्देश देने की मांग की थी।
न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर याचिका पर निर्णय लेते समय हाईकोर्ट को अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट की शक्ति का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
न्यायालय ने कहा,
इसलिए हम हाईकोर्ट को भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर निर्णय लेते समय अनुच्छेद 142 के तहत इस न्यायालय की शक्ति का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दे सकते। याचिकाकर्ता द्वारा की गई प्रार्थना में बिल्कुल भी योग्यता नहीं है। इसलिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त करने या मामले को संविधान पीठ को संदर्भित करने का कोई सवाल ही नहीं है।
इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल- अभिनव भारत कांग्रेस बनाम भारत संघ और अन्य।