सुप्रीम कोर्ट ने सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका खारिज की
Shahadat
26 Sept 2025 4:59 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय-ब्रिटिश उपन्यासकार सलमान रुश्दी की किताब "द सैटेनिक वर्सेज" पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें दावा किया गया कि यह किताब ईशनिंदा और संविधान के अनुच्छेद 19(2) का उल्लंघन करती है।
खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि रिट याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ता अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दे रहे हैं, जिसने किताब पर से प्रतिबंध हटा दिया था।
जस्टिस मेहता ने टिप्पणी की,
"वर्तमान में कोई लाइव अधिसूचना नहीं है।"
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, किताब में पैगंबर मुहम्मद के लिए कई "अपमानजनक" अंश हैं, जिससे मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची।
याचिका में कहा गया,
"लेखक ने एक स्वप्न दृश्य में हिंदू देवता भगवान गणेश के बारे में अपमानजनक और घटिया बातें भी कही हैं, जो बेहद आपत्तिजनक है।"
याचिकाकर्ताओं ने आगे दावा किया कि यह पुस्तक मुंबई की स्थानीय दुकानों और फ्लिपकार्ट जैसे व्यावसायिक प्लेटफार्मों पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसकी बिक्री दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के कारण संभव हुई, जिसने अधिकारियों द्वारा 1988 की अधिसूचना प्रस्तुत न करने पर इस पर से प्रतिबंध हटा लिया था।
इस संबंध में यह तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने इस बात की अनदेखी की कि पुस्तक पर प्रतिबंध उसकी ईशनिंदा वाली सामग्री और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए संभावित खतरे के कारण लगाया गया था।
यह स्मरणीय है कि नवंबर, 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट ने पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिकारियों द्वारा कथित रूप से जारी की गई अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर दिया। अदालत ने कहा कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और कस्टम बोर्ड सहित अन्य अधिकारी 2019 में याचिका दायर होने के बाद से अधिसूचना प्रस्तुत नहीं कर सके।
न्यायालय ने कहा,
"उपरोक्त परिस्थितियों के मद्देनजर, हमारे पास यह मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है कि ऐसी कोई अधिसूचना मौजूद नहीं है। इसलिए हम इसकी वैधता की जांच नहीं कर सकते और रिट याचिका को निष्फल मानकर इसका निपटारा नहीं कर सकते।"
Case Title: MOHD. ARSHAD MOHD. JAMAL KHAN AND ORS. Versus UNION OF INDIA AND ORS., W.P.(C) No. 915/2025

