वकीलों के विशेषाधिकारों के हनन का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर जारी किया नोटिस

Shahadat

16 July 2025 4:25 PM

  • Do Not Pass Adverse Orders If Advocates Are Not Able To Attend Virtual Courts

    सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के विशेषाधिकारों के हनन के लिए शिकायत निवारण तंत्र की मांग करने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की और इसे मुवक्किलों को दी गई कानूनी सलाह के आधार पर जांच एजेंसियों द्वारा वकीलों को तलब करने के संबंध में शुरू किए गए स्वतः संज्ञान मामले के साथ जोड़ दिया (संदर्भ: मामलों की जाँच और संबंधित मुद्दों के दौरान कानूनी राय देने वाले या पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को तलब करने के संबंध में)।

    संक्षेप में मामसा

    यह याचिका उस वकील द्वारा दायर की गई, जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से वकीलों के विशेषाधिकारों की सुरक्षा के लिए कुछ नियम अपनाने का अनुरोध किया गया, जो एडवोकेट एक्ट की धारा 7(डी) के तहत इसके "अनिवार्य वैधानिक कार्यों" में से एक है।

    जनहित याचिका में वकीलों के विशेषाधिकारों की सुरक्षा के उद्देश्य से एक समिति के गठन की मांग की गई, जिससे वकीलों के विशेषाधिकार हनन से संबंधित मुद्दों/शिकायतों की "एक समान, सुलभ और पारदर्शी व्यवस्था" के माध्यम से प्रभावी ढंग से जांच की जा सके।

    याचिका में दिए गए कथनों के अनुसार, याचिकाकर्ता 2014 से केंद्र सरकार के समक्ष वकील (संरक्षण) विधेयक पर विचार कर रहा है, जिसे भारतीय विधि आयोग को भेजा गया। इस संबंध में आगे कहा गया कि इस वर्ष मार्च में याचिकाकर्ता ने BCI से अपने द्वारा प्रस्तावित मसौदा नियमों - वकील (विशेषाधिकार संरक्षण) नियम, 2025 - को अपनाने के लिए आवेदन किया, जो "BCI के अधिकार क्षेत्र में आते हैं", लेकिन नियमों को नहीं अपनाया गया।

    याचिका में आगे कहा गया कि वकीलों पर हमले और हत्या या उन्हें मुकदमे में फंसाए जाने की घटनाओं के मद्देनजर यह आवश्यक है।

    आगे कहा गया,

    "वकील न्यायालय के अधिकारी होते हैं और वकीलों पर होने वाले किसी भी हमले, जो वकील के रूप में उनके कर्तव्यों में बाधा डालता है, उसकी संबंधित राज्य बार काउंसिल द्वारा जांच की जानी चाहिए ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि क्या ऐसी घटना को वकील के विशेषाधिकारों पर हमला माना जाना चाहिए।"

    इसमें आग्रह किया गया कि वकीलों के विशेषाधिकारों की सुरक्षा के लिए एक समान नियम अपनाने से संबंधित राज्य बार काउंसिल द्वारा उपयुक्त न्यायालय में जाकर सुरक्षा प्राप्त करने और उसे प्रदान करने की प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित और व्यवस्थित हो जाएगी।

    यह याचिका AoR गणु सुवर्ण सिद्धनाथ के माध्यम से दायर की गई।

    Case Title: AADITYA GORE Versus UNION OF INDIA AND ORS., W.P.(C) No. 632/2025

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