सुप्रीम कोर्ट ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत के खिलाफ याचिका का निपटारा किया, क्या कुछ कहा?
Shahadat
2 May 2025 6:46 AM

सुप्रीम कोर्ट ने निसार अहमद हाजी सईद बिलाल, विस्फोट पीड़ितों में से एक के पिता द्वारा 2017 में दायर विशेष अनुमति याचिका का निपटारा किया। इस याचिका में 2008 के मालेगांव विस्फोटों में आरोपी प्रज्ञा सिंह चंद्रपाल सिंह ठाकुर उर्फ साध्वी उर्फ स्वामी पूर्णचेत आनंद गिरि को जमानत देने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट एजाज मजबूल (निसार के लिए) ने प्रस्तुत किया कि साध्वी को 25 अप्रैल, 2017 को हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने की मांग करते हुए एसएलपी दायर की गई, जिसमें कहा गया था कि मामले में उनके खिलाफ "कोई प्रथम दृष्टया" मामला नहीं बनता।
वकील ने सुझाव दिया कि हालांकि, चूंकि NIA कोर्ट ने मालेगांव धमाकों में लगभग 16 साल की अवधि के बाद अब सुनवाई पूरी कर ली है, इसलिए कोर्ट इस मामले का निपटारा कर सकता है। उन्होंने कहा कि 19 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा गया था।
बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक शहर मालेगांव में हुए बम विस्फोट में सात लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि NIA कोर्ट ने 108 गवाहों की जांच की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फैसला सुनाए जाने से पहले स्पेशल जज एके लाहोटी का तबादला न हो। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि बॉम्बे हाईकोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार लाहोटी उन जजों की सूची में हैं, जिनका तबादला प्रस्तावित है।
हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जज को 31 अगस्त तक वहीं रहने की अनुमति दी है।
आरोपी साध्वी की ओर से पेश हुए वकील अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि फैसला 8 मई को सुनाए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सभी आरोपियों को उस दिन कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश भी जारी किया गया।
न्यायालय ने याचिका का निपटारा करने का आदेश दिया:
"याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट ने प्रस्तुत किया कि मुंबई में NIA Act, 2008 के तहत गठित स्पेशल कोर्ट, NIA ने NIA स्पेशल केस नंबर 1/2016 में निर्णय सुरक्षित रखा और पूरी संभावना है कि इस महीने में सुनाया जाएगा। इसलिए इस याचिका में उचित आदेश दिए जा सकते हैं। प्रतिवादी नंबर 2 के वकील ने भी उक्त प्रस्तुतियों को स्वीकार किया। इन परिस्थितियों में हमें इस मामले पर आगे विचार करने का कोई कारण नहीं मिला। इसलिए उपरोक्त कारणों से निपटारा किया जाता है।"
केस टाइटल: निसार अहमद हाजी सईद बिलाल बनाम महाराष्ट्र राज्य | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 5668/2017