सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी और चार बच्चों की हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा को कम किया, इन चीज़ों का दिया हवाला

Shahadat

23 April 2025 4:24 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी और चार बच्चों की हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा को कम किया, इन चीज़ों का दिया हवाला

    सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। बता दें कि इस व्यक्ति को अपनी पत्नी और चार बच्चों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था।

    जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा,

    "इस तथ्य पर विचार करते हुए कि दोषी-अपीलकर्ता का कोई पूर्व इतिहास नहीं है। पिछले 16-17 वर्षों के कारावास के दौरान उसका आचरण अच्छा रहा है। उसे मानसिक स्वास्थ्य में कठिनाइयां हैं और वह एक आदर्श कैदी बनने का लगातार प्रयास कर रहा है। इन चीज़ों के मद्देनज़र हम पाते हैं कि मृत्युदंड देना अनुचित होगा।"

    न्यायालय ने मनोज बनाम मध्य प्रदेश राज्य, (2023) 2 एससीसी 353 में निर्धारित सिद्धांतों के अनुपालन में परिवीक्षा अधिकारी की रिपोर्ट, शमनकर्ता जांचकर्ता की रिपोर्ट और उसे प्रस्तुत मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की रिपोर्ट में किए गए निष्कर्षों पर भरोसा किया।

    पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड की कमी, जेल में अच्छा व्यवहार और कैदी के कल्याण में योगदान, पिछले आघात (दुर्व्यवहार, उपेक्षा) के कारण उसका मनोवैज्ञानिक संकट और मृत्युदंड की सजा पर 16-17 साल जैसे शमन कारक दोषी के पक्ष में थे।

    न्यायालय ने कहा,

    “रमेश ए. नायका बनाम रजिस्ट्रार जनरल, कर्नाटक हाईकोर्ट इत्यादि में तथा इस तथ्य पर विचार करते हुए कि दोषी-अपीलकर्ता का कोई पूर्व इतिहास नहीं है। पिछले 16-17 वर्षों के कारावास के दौरान उसका आचरण अच्छा रहा है। उसे मानसिक स्वास्थ्य में कठिनाइयाँ हैं तथा वह एक आदर्श कैदी बनने का निरंतर प्रयास कर रहा है। इन सब चीज़ों के मद्देनज़र हम पाते हैं कि उसे मृत्युदंड देना अनुचित होगा। इसलिए उसे मृत्युदंड से मुक्त किया जाता है। हालांकि, अपराध की गंभीरता, मारे गए व्यक्तियों की संख्या, जिसमें से पांच में से चार उसके अपने बच्चे थे, इन सबको देखते हुए हमारा विचार है कि उसे मुक्त किए जाने का अधिकार नहीं है। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि वह अपने शेष दिन, अपनी अंतिम सांस तक, जेल में बिताए, जिससे वह अपने द्वारा किए गए अपराधों तथा विशेष रूप से इस तथ्य के लिए प्रायश्चित करने के लिए पश्चाताप कर सके कि उसने चार ज्वालाएं बुझाईं।”

    उपर्युक्त के संदर्भ में न्यायालय ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया।

    केस टाइटल: रेजी कुमार उर्फ ​​रेजी बनाम केरल राज्य

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