सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व CM अजीत जोगी के बेटे की बरी होने के खिलाफ CBI की अपील पर फिर से विचार करने का आदेश दिया
Praveen Mishra
7 Nov 2025 3:58 PM IST

एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की उस अपील को बहाल कर दिया है, जिसे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राजनीतिक नेता रामअवतार जग्गी की हत्या मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी की बरी होने के खिलाफ खारिज कर दिया था।
अमित जोगी की बरी होने के खिलाफ तीन अपीलें दायर की गई थीं — एक सीबीआई द्वारा, और बाकी दो राज्य सरकार व शिकायतकर्ता द्वारा। हाईकोर्ट ने सीबीआई की अपील देरी के आधार पर खारिज कर दी थी, जबकि अन्य दो अपीलों को अवैध (non-maintainable) मानते हुए खारिज किया था।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने सीबीआई की अपील स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट को सीबीआई की leave to appeal आवेदन पर दोबारा विचार करने का निर्देश दिया। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता की अपीलें खारिज कर दीं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Lalu Prasad Yadav v. State of Bihar (2010) के फैसले के अनुसार, सीबीआई द्वारा जांचे गए मामलों में राज्य सरकार को धारा 378 सीआरपीसी के तहत अपील करने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा, चूंकि अमित जोगी की बरी होने का फैसला 2007 में आया था — यानी 31 दिसंबर 2009 को लागू हुई धारा 372 की प्रोविज़ो (जिससे पीड़ित को अपील का अधिकार मिलता है) से पहले — इसलिए शिकायतकर्ता की अपील भी मान्य नहीं थी, जैसा कि Mallikarjun Kodagali v. State of Karnataka (2019) में स्पष्ट किया गया है।
मामला 4 जून 2003 का है जब राजनीतिक नेता रामअवतार जग्गी की हत्या हुई थी। शुरू में राज्य पुलिस ने जांच कर चार्जशीट दायर की थी, लेकिन बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई ने नई चार्जशीट दाखिल कर अमित जोगी पर साजिश के तहत हत्या का आरोप लगाया।
31 मई 2007 को ट्रायल कोर्ट ने 28 आरोपियों को दोषी ठहराया, लेकिन अमित जोगी को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया। इसके बाद राज्य, शिकायतकर्ता और सीबीआई ने हाईकोर्ट में अपील की, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया।
जस्टिस विक्रम नाथ द्वारा लिखे गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और पीड़ित के बेटे सतीश जग्गी की अपीलें खारिज कर दीं, लेकिन सीबीआई की देरी से दायर अपील को गंभीर आरोपों को देखते हुए स्वीकार किया। कोर्ट ने कहा —
“हम सीबीआई द्वारा दी गई देरी की सफाई को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन इतने गंभीर आरोपों वाले मामले को केवल तकनीकी कारणों से खारिज करना न्यायोचित नहीं होगा।”
अदालत ने यह भी कहा कि इस असाधारण स्थिति में अमित जोगी (प्रतिवादी) को प्रारंभिक सुनवाई के चरण पर सुने जाने का अवसर दिया जाएगा।
“आम तौर पर leave to appeal के चरण पर बरी किए गए आरोपी को नहीं सुना जाता, लेकिन इस मामले में न्याय के हित में, हम अमित जोगी को सुनने का अवसर प्रदान कर रहे हैं। साथ ही, शिकायतकर्ता और राज्य सरकार को भी सीबीआई की अपील में पक्षकार बनाया जाएगा और उन्हें अपने पक्ष रखने की अनुमति होगी।”

