चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद 'रूल्स ऑफ गेम्स' बदले जाएं या नहीं, इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ के पुनर्गठन पर सहमत

Shahadat

24 Nov 2022 10:18 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पुनर्गठन पर सहमत हो गया कि चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद "रूल्स ऑफ गेम्स" को बदला जा सकता है या नहीं।

    कुछ हाईकोर्ट द्वारा संचालित जिला न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया से संबंधित मामलों के बैच में यह मुद्दा उठा गया। प्राथमिक प्रश्न यह है कि क्या प्रक्रिया के दौरान चयन मानदंड को बदला जा सकता है।

    जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सुधांशु धूलिया की 5 जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू की थी।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जे.बी. पर्दीवाला की खंडपीठ को एडवोकेट कुरियाकोस वर्गीज ने सूचित किया कि चूंकि जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस हेमंत गुप्ता अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए इस मामले की सुनवाई के लिए नई संविधान पीठ का गठन किया जाए।

    सीजेआई ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई के लिए 5 जजों की नई बेंच का गठन करेंगे।

    तेज प्रकाश पाठक और अन्य बनाम राजस्थान हाईकोर्ट और अन्य (2013) 4 एससीसी 540 मामले में 3-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा इस मुद्दे को संविधान पीठ को भेजा गया। तेज प्रकाश मामले में पीठ ने पहले के फैसले की शुद्धता पर संदेह किया। मंजुश्री बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य (2008) 3 एससीसी 512, जहां यह माना गया कि प्रक्रिया के दौरान चयन मानदंड को बीच में नहीं बदला जा सकता, क्योंकि "यह खेल खेले जाने के बाद रूल्स ऑफ गेम्स को बदलने के समान होगा, जो स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है।" मंजूश्री मामले को साक्षात्कार के अंकों के लिए बाद में कट-ऑफ की शुरूआत को अमान्य माना गया, जो मूल रूप से अधिसूचना में निर्धारित नहीं किया गया।

    तेज प्रकाश मामले में तीन जजों की पीठ ने संदेह जताया कि क्या खेल के नियमों को बदलने पर रोक को पूर्ण और गैर-परक्राम्य माना जा सकता है।

    5 जजों की बेंच ने तेज प्रकाश मामले में कहा,

    "हमारी राय में बिना किसी और जांच के मंजुश्री मामले (सुप्रा) में दिए गए सिद्धांत को लागू करना बड़े जनहित में या कुशल प्रशासनिक तंत्र स्थापित करने के लक्ष्य में नहीं होगा।"

    सलाम समरजीत सिंह बनाम मणिपुर हाईकोर्ट इंफाल और अन्य (2016) 10 एससीसी 484 में भी लगभग इसी तरह के मुद्दे से निपटा गया और तब से 10.08.2017 के मामला शिवनंदन सी.टी. और अन्य बनाम केरल हाईकोर्ट और अन्य मामले के आदेश द्वारा तेज प्रकाश (सुप्रा) के साथ पोस्ट किया गया। इसी तरह के बिंदु को उठाने के लिए संविधान पीठ को भी भेजा गया।

    विशेष रूप से ये सभी मामले जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया से संबंधित हैं।

    केस टाइटल: तेज प्रकाश पाठक व अन्य बनाम राजस्थान हाईकोर्ट और अन्य। सीए. नंबर 2634/2013

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