"अगले संसद सत्र में कुछ हो सकता है": सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने राजद्रोह कानून को खत्म करने पर बताया
Shahadat
31 Oct 2022 5:24 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बैच को जनवरी, 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया।
सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
शुरुआत में ही भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि केंद्र आपराधिक कानूनों की समीक्षा करने की प्रक्रिया में है।
उन्होंने कहा,
"अगले संसद सत्र में कुछ हो सकता है।"
तद्नुसार उन्होंने केन्द्र को अतिरिक्त समय दिये जाने का अनुरोध किया ताकि उचित कदम उठाये जा सकें।
सीजेआई ने पूछा कि क्या केंद्र द्वारा सभी लंबित कार्यवाही को स्थगित करने और इसके उपयोग को रोकने के लिए धारा 124A के तहत किसी भी नए मामले को दर्ज करने से रोकने के लिए निर्देश जारी किया गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सकारात्मक जवाब दिया और कहा कि इस संबंध में सभी मुख्य सचिवों को निर्देश भेज दिए गए हैं।
सीजेआई यूयू ललित ने आदेश सुनाया,
"एजी ने प्रस्तुत किया कि इस अदालत द्वारा 11 मई, 2022 के अपने आदेश में जारी निर्देशों के संदर्भ में यह मामला अभी भी संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। उनका अनुरोध है कि अतिरिक्त समय दिया जाए ताकि सरकार द्वारा उचित कदम उठाए जा सकें। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि अदालत द्वारा जारी अंतरिम निर्देशों के मद्देनजर, हर हित और चिंता सुरक्षित है। इस तरह कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा। उनके अनुरोध पर हम इसे जनवरी, 2023 के दूसरे सप्ताह के लिए स्थगित करते हैं। यह भी किया गया कि हमारे संज्ञान में लाया गया कि कुछ मामलों में नोटिस जारी नहीं किया गया। ऐसे मामलों में भारत संघ के वकील एके शर्मा को 6 सप्ताह के भीतर उचित हलफनामा दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया जाए।"
पृष्ठभूमि
पीठ सेना के दिग्गज मेजर-जनरल एसजी वोम्बटकेरे (सेवानिवृत्त) और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, पत्रकार अनिल चमड़िया, पीयूसीएल, पत्रकार पेट्रीसिया मुखिम और अनुराधा भसीन, और पत्रकार संघ असम द्वारा दायर रिट याचिकाओं के एक बैच पर विचार कर रही थी।
भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 11 मई, 2022 को कई निर्देश पारित किए थे, जिसने प्रभावी रूप से राजद्रोह कानून को स्थगित कर दिया था।
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से उक्त प्रावधान के तहत कोई भी एफआईआर दर्ज करने से परहेज करने का आग्रह किया, जबकि यह फिर से विचाराधीन है।
आदेश में कहा गया,
"हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी एफआईआर दर्ज करने, जांच जारी रखने या आईपीसी की धारा 124 ए के तहत कठोर कदम उठाने से परहेज करेंगी।"
पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि धारा 124 ए के तहत लगाए गए आरोपों के संबंध में सभी लंबित मुकदमे, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाए।
केस टाइटल: एस.जी. वोम्बाटकेरे बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीसी 682/2021) एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य। (डब्ल्यूपीसी 552/2021)