पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट ने 1996 ड्रग्स प्लांटिंग मामले में 20 साल की सज़ा पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया
Praveen Mishra
3 Dec 2025 7:01 PM IST

पूर्व आईपीएस अधिकारी संजय भट्ट ने 1996 के ड्रग्स प्लांटिंग मामले में सुनाई गई 20 साल की सज़ा पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
यह मामला आज जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय विष्णोई की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध था, लेकिन सिनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (भट्ट की ओर से) के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी गई।
गुजरात हाईकोर्ट ने पहले ही खारिज की थी भट्ट की जमानत याचिका
भट्ट ने पहले सज़ा पर रोक और जमानत के लिए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि—
“अपराध की गंभीरता, NDPS एक्ट की धारा 37 के कठोर प्रावधान, दोषसिद्धि के बाद निर्दोष मानने के सिद्धांत का उलट जाना, सामाजिक प्रभाव और आरोपी की पृष्ठभूमि को देखते हुए सज़ा निलंबन या जमानत पर विचार नहीं किया जा सकता।”
मामले की पृष्ठभूमि
भट्ट को सितंबर 2018 में गुजरात हाईकोर्ट के निर्देश पर CID द्वारा गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि 1996 में बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित पर 1.5 किलो अफ़ीम रखने का झूठा केस लगाया था और उन्हें पलनपुर के एक होटल में फँसाया गया था।
उस समय भट्ट बनासकांठा के जिला पुलिस अधीक्षक थे। स्थानीय क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर आई.बी. व्यास को भी सह-आरोपी बनाया गया था। वर्ष 2021 में व्यास ने अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनकर बयान दिया।
प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, भट्ट और अन्य सह-आरोपियों ने राजपुरोहित को NDPS एक्ट के तहत झूठे मामले में फँसाने की साज़िश रची थी।
2024 में 20 साल की सज़ा
मार्च 2024 में गुजरात के बनासकांठा जिले के पलनपुर स्थित सेशंस कोर्ट ने संजय भट्ट को NDPS की निम्न धाराओं के तहत 20 साल कैद की सज़ा सुनाई:
- धारा 21(c)
- धारा 27A (ग़ैरकानूनी तस्करी को वित्तपोषण/अपराधियों को आश्रय देने पर सज़ा)
साथ ही उन पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
कोर्ट ने उन्हें NDPS की धाराएँ 21(c), 27A, 29, 58(1) और 58(2) के तहत दोषी पाया।
इसके अलावा IPC की धाराएँ 465, 471, 167, 204, 343, 120B और 34 के तहत भी दोषी ठहराया गया।
भट्ट पहले से आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं
इस सज़ा के समय भी भट्ट 1990 के कस्टोडियल डेथ केस में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे थे।
अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कस्टोडियल डेथ मामले में उनकी सज़ा पर रोक लगाने की अर्जी भी खारिज कर दी थी।

