बलात्कार का मुकदमा : अभियुक्त ने कहा पीड़िता की सहमति शामिल थी, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

9 Dec 2020 4:00 AM GMT

  • बलात्कार का मुकदमा : अभियुक्त ने कहा पीड़िता की सहमति शामिल थी, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बलात्कार के एक आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया है क्योंकि आरोपी की तरफ से दलील दी गई है कि इस पूरे मामले में कथित तौर पर पीड़िता की सहमति शामिल थी। आरोपी पर एक 17 साल 8 महीने की नाबालिग लड़की से बलात्कार करने का आरोप लगाया गया है।

    जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने बाॅम्बे हाईकोर्ट द्वारा सितंबर माह में दिए गए एक आदेश के खिलाफ दायर एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने एक 34 वर्षीय अमित रोसो पाटिल को इस मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था। पीड़िता की शिकायत पर पाटिल के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 354-डी, 506 के तहत केस दर्ज कियर गया था। चूंकि पीड़ित नाबालिग थी, इसलिए पाॅक्सो की धारा 3, 4, 11 और 12 के प्रावधान भी लागू किए गए थे।

    अपने बिजनेस पार्टनर की 17 वर्षीय बेटी के साथ बलात्कार के आरोपी याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार करते हुए बाॅम्बे हाईकोट ने कहा था कि ''बलात्कार सिर्फ जबरन संभोग नहीं है, इसका मतलब है कि बस जाना और सब कुछ नष्ट कर देना।''

    याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने सोमवार को दलील दी कि, ''पीड़िता ने संबंधों के लिए सहमति व्यक्त की थी।''

    न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, ''उसकी सहमति महत्वहीन है। वह उस समय नाबालिग थी ... आपकी खुद की दलीलों के अनुसार वह 18 साल से कम उम्र की थी।''

    इस पर वकील ने कहा कि, ''मुझे उस समय इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह नाबालिग है ... लेकिन वह 17 साल और 8 महीने की थी।''

    जस्टिस गुप्ता ने कहा कि,''यह 'कानून के साथ संघर्ष में किशोर' के मामले में ज्यूवनाइल जस्टिस एक्ट के तहत प्रासंगिक हो सकता है, लेकिन आईपीसी में नहीं। आईपीसी में ऐसी कोई बात नहीं है ... आप इस 'सहमति' वाले तर्क को यहां नहीं प्रस्तुत कर सकते हैं।''

    हालांकि, संक्षिप्त सुनवाई के बाद, पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करने का फैसला किया।

    पीड़िता पुणे में एक कॉलेज में 11 वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थी और आवेदक को जानती थी, क्योंकि वह एक पारिवारिक मित्र और उसके पिता का बिजनेस पार्टनर है। पीड़ित लड़की आवेदक से लगभग ढाई साल से परिचित थी। पीड़िता द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि अक्टूबर, 2019 के महीने से, आवेदक ने उसे अपने व्हाट्सएप पर मैसेज करना शुरू कर दिया और उसके प्रति अपनी पसंद व्यक्त की और उससे यौन संबंध बनाने की भी मांग की, जिसे पीड़ित लड़की ने ठुकरा दिया।

    चूंकि आवेदक एक पारिवारिक मित्र था, इसलिए पीड़िता ने किसी को यह बात नहीं बताई कि आवेदक उसे अश्लील मैसेज भेज रहा है। 6 दिसंबर, 2019 को, आवेदक ने उसे एक मैसेज भेजा, जिसमें उसने उसके साथ कुछ महत्वपूर्ण पारिवारिक मामलों पर चर्चा करने की बात कही थी। साथ ही उसे अगले दिन मिलने के लिए कहा था। अगले दिन, जब वह अपनी बस के आने का इंतजार कर रही थी, तभी आवेदक दो पहिया वाहन पर वहां आया और पीड़िता से कहा कि वह उसके साथ चले। इसके बाद आवेदक उसे एक नजदीकी फार्महाउस पर ले गया और एक भावनात्मक अपील करते हुए उसे धमकी दी कि अगर वह सहमत नहीं हुई तो वह आत्महत्या कर लेगा। इस तरह पीड़िता को उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया था। इस तरह की घटना दो बार और हुई। आखिरी घटना 1 जनवरी, 2020 की थी।

    अंत में, 12 जनवरी को पीड़ित लड़की ने अपने माता-पिता को इस घटना के बारे में बताया और 30 जनवरी, 2020 को रिपोर्ट दर्ज करवाई गई।

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