ओडीआर और वर्चुअल अदालतों का विरोध अज्ञात भय पर आधारित, सूचनाएं संक्रमण को सरल बना सकती हैः ज‌स्टिस चंद्रचूड़

LiveLaw News Network

11 April 2021 3:30 PM GMT

  • ओडीआर और वर्चुअल अदालतों का विरोध अज्ञात भय पर आधारित, सूचनाएं संक्रमण को सरल बना सकती हैः ज‌स्टिस चंद्रचूड़

    ज‌स्ट‌िस डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा, "ऑनलाइन विवाद समाधान और वर्चुअल अदालतों का विरोध अक्सर अंजान डर पर आधारित होता है। मैं इस डर की आलोचना नहीं कर रहा हूं, लेकिन इस संक्रमण को आसान बनाने में मूल्यवान जानकारी के महत्व पर जोर दे रहा हूं।"

    नीति आयोग की ऑनलाइन विवाद समाधान पुस्तिका के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह याद रखना चाहिए कि "परिवर्तन प्रकृति का नियम है" और इसे बहुत लंबे समय तक नहीं टालना चाहिए, "अन्यथा ऐसा न हो कि हम, विशेष रूप से न्यायपालिका, पीछे छूट जाए।"

    उन्होंने कहा कि "ओडीआर को पूर्ण रूप से अपनाने पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।"

    ज‌स्ट‌िस चंद्रचूड़ ने कहा, "पिछले एक साल में कोविड ने हमारी जिंदगी को अकल्पनीय तरीके से बदल दिया है, इसमें अदालतें का संचालन का तरीका भी शामिल है।

    लॉक डाउन के कारण वर्चुअल सुनवाई का रास्ता बना। यह संक्रमण हम सभी, मेरे और मेरे सहयोगियों, अधिवक्ताओं, वादकारियों और अदालत के कर्मचारियों के लिए बहुत मुश्किल था।"

    ज‌स्ट‌िस चंद्रचूड़ ने कहा कि भले ही शुरु में प्रक्रिया धीमी रही, लेकिन वर्चुअल सुनवाई ने न्यायिक पारिस्थितिकी तंत्र में जगह बनाई है।

    "बेशक, आज भी, पूरी तरह से वर्चुअल सुनवाई की प्रणाली का विरोध हो रहा है। हालांकि कई ने इसे महामारी के चरम पर आवश्यकता के रूप में स्वीकार किया था, उन्होंने महामारी के कमजोर पड़ने पर फिजिकल सुनवाई की ओर कदम बढ़ाने का तुरंत अनुरोध किया।"

    उन्होंने कहा कि "ओडीआर समय की आवश्यकता है।"

    जस्टिस चंदचूड़ ने कहा, "विवादों का कुशल समाधान सुनिश्चित करने के लिए आभासी तंत्र का उपयोग मेरे लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मैं सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति का अध्यक्ष भी हूं..."।

    ज‌स्ट‌िस चंद्रचूड़ ने कहा कि, जब 1967 में एटीएम आया था, तो लोगों को लगा था कि अब दोस्तों जैसे बैंक क्लर्क खत्म हो जाएंगे।

    उन्होंने कहा, "अब, हम सुरक्षित रूप से कह सकते हैं कि वह डर निराधार था।"

    जस्टिस चंदचूड़ ने बताया कि ओडीआर विवादों को सीमित करने में मदद कर सकता है।

    उन्होंने कहा, "जब एडीआर (वैकल्पिक विवाद समाधान) का उपयोग पहली बार अदालत प्रणाली के विकल्प के रूप में किया गया था, तो इसका मतलब अदालतों की भूमिका को पूरी तरह से खत्म करना नहीं था। यही कारण है कि मैं हमेशा एडीआर को 'उपयुक्त विवाद समाधान' कहता हूं। इसका मकसद अदालतों का बोझ कम करना था और कुछ विवादों के लिए एक कुशल समाधान सुनिश्चित करना था.....मुझे विश्वास है कि आज की डिजिटल दुनिया में, ओडीआर वैसी ही भूमिका निभा सकती है ...।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ओडीआर को आगे बढ़ाने का मतलब यह नहीं कि सभी प्रकार विवाद समाधान प्रक्रिया को प्रतिस्थापित करना है।

    "जब तक भारत में डिजिटल तकनीका का चौतरफा विस्तार और पूर्ण साक्षरता नहीं हो जाता, तब तक यह दूरगामी और झूठी संभावना है।"

    उन्होंने कहा कि ओडीआर की क्षमता विकेंद्रीकृत करने की जरूरत है, विविधता लाने की जरूरत है, सेवा के रूप में न्याय वितरण की प्रक्रिया का लोकतंत्रीकरण करने की जरूरत है, और अंत में, न्याय की जटिलताओं का सुलझाने की आवश्यकता है।

    उन्होंने कहा कि "ओडीआर का समय आ गया है।"

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