प्रवासी मजदूरों को एनसीआर में सूखा राशन दें और सामुदायिक रसोई स्थापित करें : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और हरियाणा को दिया निर्देश

LiveLaw News Network

13 May 2021 12:23 PM GMT

  • प्रवासी मजदूरों को एनसीआर में सूखा राशन दें और सामुदायिक रसोई स्थापित करें : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और हरियाणा को दिया निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रवासी श्रमिकों को सूखा राशन प्रदान करने का निर्देश दिया।

    सूखा राशन प्रदान करते समय राज्यों के अधिकारियों को उन प्रवासी मजदूरों के लिए पहचान पत्र पर जोर नहीं देना है जो उस समय उनके पास नहीं होगा और फंसे हुए प्रवासी मजदूरों द्वारा की गई स्वयं-घोषणा पर उन्हें सूखा राशन दिया जाए।

    इसके अलावा, दिल्ली सरकार, यूपी और हरियाणा राज्यों को भी फंसे हुए प्रवासी कामगारों, साथ ही उनके परिवारों के लिए एनसीआर में अच्छी तरह से विज्ञापित स्थानों पर सामुदायिक रसोई स्थापित करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि उन्हें दिन में दो बार भोजन उपलब्ध कराया जाए।

    कोर्ट ने दिल्ली सरकार, यूपी और हरियाणा सरकारों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि एनसीआर में फंसे हुए प्रवासी कामगारों को पर्याप्त परिवहन उपलब्ध कराया जाए जो अपने घरों में वापस जाना चाहते हैं।

    जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जो स्वत: संज्ञान मामले इन रि :

    प्रॉब्लम्स एंड माइजरीज ऑफ माइग्रेंट लेबर्स , में एक्टिविस्ट हर्ष मंदर, अंजलि भारद्वाज और जगदीप छोकर की ओर से दायर की गई थी जिसमें मुद्दों को उजागर किया गया था जिन समस्याओं की COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के मद्देनज़र विभिन्न राज्यों द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के कारण प्रवासी श्रमिकों द्वारा का सामना किया जा रहा है।

    आवेदकों का प्रतिनिधित्व एडवोकेट प्रशांत भूषण ने किया था।

    न्यायालय द्वारा निम्नलिखित अंतरिम निर्देश दिए गए थे:

    (1) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रवासी श्रमिकों को सूखा राशन आत्मनिर्भरभारत योजना या किसी अन्य योजना के तहत भारत सरकार, दिल्ली एनसीटी, यूपी राज्य और हरियाणा द्वारा प्रदान किया जाए जिसका मई, 2021 से प्रत्येक राज्य में प्रचलित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उपयोग को रहा है। सूखा राशन प्रदान करते समय राज्यों के प्राधिकरण उन प्रवासी मजदूरों के पहचान पत्र पर जोर नहीं देंगे, जिनके पास समय पर ये नहीं है। फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को सूखा राशन स्व-घोषणा पर दिया जाए।

    (2) दिल्ली एनसीटी, यूपी और हरियाणा राज्य (एनसीआर में शामिल जिलों के लिए) यह सुनिश्चित करेंगे कि फंसे हुए प्रवासी मजदूरों (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में) को पर्याप्त परिवहन प्रदान किया जाए जो अपने घर लौटना चाहते हैं। पुलिस प्रशासन के साथ समन्वय में जिला प्रशासन ऐसे फंसे हुए प्रवासी मजदूरों की पहचान कर सकता है और सड़क परिवहन या ट्रेन द्वारा उनके परिवहन की सुविधा प्रदान कर सकता है। प्रवासी मजदूरों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आवश्यक और पर्याप्त उपाय करने के लिए भारत संघ रेल मंत्रालय को आवश्यक निर्देश जारी कर सकता है।

    (3) दिल्ली एनसीटी, यूपी राज्य और हरियाणा राज्य (एनसीआर में शामिल जिलों के लिए) फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के लिए अच्छी तरह से विज्ञापित स्थानों (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में) में सामुदायिक रसोई खोलेंगे ताकि वे और उनके परिवार के सदस्य जो फंसे हुए हैं उन्हें एक दिन में दो भोजन मिल सकें।

    अंतरिम निर्देशों के अलावा, न्यायालय ने केंद्र, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश राज्य और हरियाणा राज्य ( एनसीआर में शामिल जिलों के लिए) को इसआवेदन का जवाब देने के लिए, सुझाव और फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों के दुखों को कम करने के उपाय सुझाने का निर्देश दिया।

    महाराष्ट्र, गुजरात और बिहार राज्यों को भी आवेदन पर नोटिस जारी किया गया है, जिसमें वे उन उपायों का विवरण देते हुए जवाब दाखिल करेंगे जो वे फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों के परिवहन और सूखे राशन प्रदान करने के साथ- साथ पका हुआ भोजन प्रदान करने के संबंध में प्रवासी श्रमिकों के दुखों को सुधारने के लिए प्रस्तावित किए गए हैं।

    शीर्ष अदालत ने अपने आदेश दिनांक 09.06.2020 का उल्लेख किया, जिसमें उन प्रवासी श्रमिकों को राहत देने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए थे, जो अपने पैतृक गांवों में लौट आए थे।

    बाद में, अक्टूबर 2020 में, कोर्ट ने राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को दो सप्ताह के भीतर निर्देशों पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने का निर्देश दिया था। आज, न्यायालय ने उल्लेख किया कि अधिकांश राज्यों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दर्ज नहीं की हैं, और इसलिए, अंतिम अवसर के रूप में, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र और ओडिशा के राज्यों जवाब दाखिल करने करने के लिए 10 दिनों का समय दिया गया है।

    आज की सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की और कहा था कि वह खाद्य सुरक्षा और सस्ता परिवहन विकल्प सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम निर्देश जारी करेगा। केंद्र द्वारा आई ए का विरोध किया गया, जिसका प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने किया।मामले की सुनवाई अब 24 मई को होगी।

    केस का विवरण

    शीर्षक : इन रि :प्रॉब्लम्स एंड माइजरीज ऑफ माइग्रेंट लेबर्स

    पीठ: जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह

    उद्धरण: LL 2021 SC 256

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story