बिहार में जिला जज पर हमलाः सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर, कोर्ट की न‌िगरानी में जांच की मांग

LiveLaw News Network

2 Nov 2020 10:25 AM IST

  • बिहार में जिला जज पर हमलाः सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर, कोर्ट की न‌िगरानी में जांच की मांग

    बिहार में एक पुलिसकर्मी द्वारा जिला जज पर हमला किए जाने की खबरों के मद्देनजर, एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें इस घटना की अदालत की निगरानी में जांच कराने और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपायों की मांग की गई है।

    अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में 21 अक्टूबर को पुलिस उप-निरीक्षक द्वारा औरंगाबाद के जिला जज का पीछा करने, गाली-गलौज देने, धमकी देने और मारपीट किए जाने की अखबारी रिपोर्ट्रों का जिक्र है। जिल जज उस समय शाम की सैर पर थे।

    घटना के बाद, 'द एसोसिएशन फॉर जजेस' ने सुप्रीम कोर्ट और पटना हाईकोर्ट को एक पत्र लिखा है, और आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।

    जनहित याचिका में अधिवक्ता तिवारी ने कहा कि घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है और न्यायाधीश को कोई सुरक्षा नहीं दी गई है।

    वकील का दावा है कि न्यायाधीश पर हमला पूरी न्यायपालिका और कानूनी बिरादरी पर एक धब्बा है, और अगर आरोपी को छोड़ दिया जाता है, तो यह आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रभावारिता में जनता के विश्वास को कम करेगा।

    याचिका में कहा गया है, "पुलिस द्वारा न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों पर हमला केवल न्यायपालिका की गरिमा को कम करता है, बल्कि यह जनता के मन में यह धारणा भी बनाता कि जब न्यायिक अधिकारी पुलिस अत्याचारों से सुरक्षित नहीं हैं तो सार्वजनिक सुरक्षा क्या होगा।"

    तिवारी ने कहा है कि जब 1989 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पर पुलिस हमले की एक ऐसी घटना गुजरात में हुई थी, तब सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक अवमानना ​​के तहत इसका संज्ञान लिया था और मामले में संबंधित अधिकारियों को दंडित किया था( दिल्ली न्याय‌िक सेवा एसोसिएशन तीस हजारी कोर्ट, दिल्ली बनाम गुजरात राज्य और अन्य ETC.AIR 1991 2176)।

    याचिका में औरंगाबाद की घटना पर इसी तरह की प्रतिक्रिया की मांग की गई है। याचिका में दोषी / पहचान गए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ धारा 307, 364 (511 के सा‌थ पढ़ें) 365(511 के सा‌‌‌थ पढ़ें) और अन्य संबंधित प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए दिशा निर्देश की मांग है। साथ ही घटना की जांच के लिए हाईकोर्ट के जज की सदस्यता वाले दो सदस्यीय जांच आयोग गठित करने और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दिशा निर्देश देने की मांग की गई है।

    याचिका में दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने और बिहार के पुलिस महानिदेशक के खिलाफ उनकी कथित निष्क्रियता के कारण कार्रवाई की मांग की गई है।

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