नोटरी को विवाह या तलाक के कार्य निष्पादित नहीं करने चाहिए : विधि एवं न्याय मंत्रालय
Shahadat
15 Oct 2024 10:23 AM IST
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने सभी नोटरी को विवाह एवं तलाक के कार्य निष्पादित करने से दूर रहने को कहा, क्योंकि उन्हें विवाह अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया गया।
विधि मामलों के विभाग द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन में नोटरी को आगाह किया गया कि विवाह एवं तलाक के कार्य निष्पादित करना कानून के विरुद्ध है।
कहा गया,
"सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाता है कि नोटरी अधिनियम 1952 के तहत नियुक्त नोटरी विवाह या तलाक के कार्य निष्पादित करने से दूर रहते हैं, क्योंकि उन्हें विवाह अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया गया। उनकी ओर से इस तरह की कार्रवाई मौजूदा कानून के विरुद्ध है। किसी भी नोटरी की ओर से इस संबंध में नोटरी अधिनियम, 1952 या नोटरी नियम, 1956 का कोई भी उल्लंघन या चूक कदाचार के समान होगी। तदनुसार ऐसे नोटरी के विरुद्ध नोटरी अधिनियम, 1952 और नोटरी नियम, 1956 में निहित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।"
भारत सरकार के उप सचिव राजीव कुमार द्वारा जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन में कहा गया कि नोटरी अधिनियम, 1952 की धारा 8 और नोटरी नियम के नियम 11 के उपनियम (8) के अनुसार विवाह या तलाक के हलफनामे का निष्पादन नोटरी का कार्य नहीं है। नोटरी न तो विवाह को प्रमाणित करने के लिए अधिकृत है और न ही तलाक के दस्तावेज को निष्पादित करने के लिए सक्षम है।
कानून की इस स्थिति के बावजूद, केंद्र ने कहा कि उसने ऐसे मामले देखे हैं, जहां नोटरी विवाह, तलाक आदि से संबंधित दस्तावेजों को निष्पादित कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में नोटरी विवाह प्रमाण पत्र भी जारी कर रहे हैं, जिसके दूरगामी परिणाम होते हैं।
कार्य ज्ञापन में उड़ीसा हाईकोर्ट के पार्थ सारथी दास बनाम उड़ीसा राज्य एवं अन्य, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुकेश पुत्र श्री लक्ष्मण @ लक्ष्मीनारायण बनाम मध्य प्रदेश राज्य और बुंदेल सिंह लोधी बनाम मध्य प्रदेश राज्य के निर्णयों का उल्लेख किया गया, जिसमें कहा गया कि नोटरी विवाह अधिकारी नहीं हैं।
हाल ही में दिए गए आदेश का भी संदर्भ दिया गया। भगवान सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कहा गया कि नोटरी अधिनियम का उल्लंघन कर कार्य करने वाले नोटरी व्यावसायिक कदाचार के लिए उत्तरदायी हैं।