बहुदलीय प्रणाली संविधान की बुनियादी विशेषता, इसे सीबीआई, ईडी का उपयोग करके नष्ट नहीं किया जा सकता: सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे
Avanish Pathak
11 March 2023 8:31 PM IST
सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने शनिवार को कोच्चि स्थित एर्नाकुलम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज ओल्ड स्टूडेंट्स एंड टीचर्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक व्याख्यान में 'भारतीय संविधान की मूल संरचना और इसकी वर्तमान चुनौतियों' पर अपने विचार रखे।
उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि किस तरह से दिन प्रति दिन भारत में लोकतंत्र का क्षरण हो रहा है और संवैधानिक संस्थाओं पर हमले हो रहे थे।
उन्होंने कहा,
"मूल संरचना सिद्धांत आज प्रासंगिक क्यों हो गया है, क्योंकि राजनीति गटर में चली गई है। किसी भी राजनीतिक दल में संविधान और संवैधानिक नैतिकता के लिए सम्मान नहीं है। उन्होंने सामूहिक रूप से संवैधानिक संस्था को कमजोर करने की कोशिश की है।”
दवे ने संविधान के मूल ढांचे की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, मौजूदा दौर में राजनीतिक दल पॉवर एक्सरसाइज को प्राथमिकता देते हैं न कि अपने नागरिकों के कल्याण को।
दवे ने कहा कि बहुदलीय प्रणाली संविधान की बुनियादी संरचना विशेषता है जैसा कि कुलदीप नैयर मामले में हुआ था। इस संदर्भ में, उन्होंने सत्तारूढ़ दल की ओर से कथित तौर पर कहे गए एक बयान का उल्लेख किया कि वे "कांग्रेस मुक्त भारत" चाहते हैं। "वे जो चाहते हैं वह विपक्ष मुक्त भारत है"।
उन्होंने बताया कि संविधान सभा की बहस में एक सदस्य ने टिप्पणी की थी कि यदि सत्ता पक्ष विपक्ष को काम नहीं करने दे रहा है, तो यह देशद्रोह होगा।
दवे ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी पार्टियों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
“बहुदलीय प्रणाली हमारे संविधान की एक बुनियादी विशेषता है। आप सीबीआई, ईडी, आयकर और अन्य एजेंसियों जैसी एजेंसियों का उपयोग करके उसे नष्ट नहीं कर सकते।'
दवे ने भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "हमारे पास रूप में लोकतंत्र है, लेकिन सार में नहीं।"
उन्होंने सरकार के आलोचकों, अल्पसंख्यकों और यहां तक कि स्टैंड अप कॉमेडियसं पर होने वाले हमलों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
दवे ने कहा कि अंबेडकर और संविधान सभा के अन्य सदस्यों ने शायद यह सोचा भी नहीं होगा कि भविष्य में संसद के लिए चुने गए लोग अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनने की कोशिश करेंगे. हालांकि, अम्बेडकर ने कुछ लोगों के हाथों में शक्ति की एकाग्रता और सत्ता के इस तरह के दुरुपयोग के खिलाफ संविधान की रक्षा करने की आवश्यकता की चेतावनी दी थी।