ज़मानत आवेदनों में पूर्ववृत्त और पूर्व याचिकाओं का खुलासा अनिवार्य करने वाला नियम बनाएं: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट्स से कहा
Shahadat
18 July 2025 2:34 PM

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी हाईकोर्ट्स को एक नियम बनाने का सुझाव दिया कि अभियुक्तों को अपनी ज़मानत याचिकाओं में उनके द्वारा दायर पूर्व ज़मानत आवेदनों, यदि कोई हों, और अपने आपराधिक पूर्ववृत्त का भी अनिवार्य रूप से उल्लेख करना चाहिए।
न्यायालय ने उदाहरण के तौर पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट नियमों के एक प्रावधान का हवाला दिया।
उक्त नियम, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट नियमों के अध्याय 1-ए(बी) खंड-V के नियम 5 में कहा गया:
"5. ज़मानत आवेदन- हाईकोर्ट में प्रस्तुत प्रत्येक ज़मानत आवेदन में याचिकाकर्ता यह बताएगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट में इसी प्रकार का आवेदन किया गया या नहीं। यदि किया गया है तो उसका परिणाम भी बताएगा। याचिकाकर्ता/आवेदक यह भी बताएगा कि क्या वह किसी अन्य आपराधिक मामले में शामिल है/था। यदि हां तो उसका विवरण और निर्णय। जिस आवेदन में यह जानकारी नहीं है, उसे आवश्यक जानकारी के साथ पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।"
न्यायालय ने सुझाव दिया कि सभी हाईकोर्ट में एक समान नियम लागू किया जाए।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा:
"हमारा मानना है कि देश के प्रत्येक हाईकोर्ट को अपने-अपने हाईकोर्ट नियमों और/या आपराधिक पक्ष नियमों में एक समान प्रावधान लागू करने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे अभियुक्त पर पूर्व में दर्ज किसी अन्य आपराधिक मामले में अपनी संलिप्तता के बारे में खुलासा करने का दायित्व आ जाएगा।"
न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस आदेश की कॉपी सभी हाईकोर्ट के महापंजीयकों को भेजी जाए ताकि संबंधित नियमों में एक समान नियम लागू करने पर विचार किया जा सके।
पीठ ने ये टिप्पणियां राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा न्यायिक अधिकारी के विरुद्ध जमानत याचिका पर दिए गए निर्णय के संबंध में लगाई गई कड़ी टिप्पणियों को हटाते हुए कीं। विभिन्न उदाहरणों का हवाला देते हुए पीठ ने दोहराया कि हाईकोर्ट को न्यायिक अधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णयों के संबंध में उनके विरुद्ध प्रतिकूल टिप्पणी करने से बचना चाहिए।
Case : Kaushal Singh vs State of Rajasthan