जस्टिस विनोद चंद्रन ने वेदांता ग्रुप के खिलाफ सुनवाई से खुद को अलग किया

Shahadat

8 Sept 2025 12:26 PM IST

  • जस्टिस विनोद चंद्रन ने वेदांता ग्रुप के खिलाफ सुनवाई से खुद को अलग किया

    सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने सोमवार को उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर वायसराय रिसर्च एलएलसी द्वारा वेदांता समूह की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच की मांग की गई।

    शक्ति भाटिया द्वारा दायर जनहित याचिका को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। अब यह याचिका किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की जाएगी।

    याचिकाकर्ता ने सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध संस्थाओं, जैसे वेदांता लिमिटेड (VEDL के रूप में सूचीबद्ध), हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HJDL के रूप में सूचीबद्ध) और वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड (VRL प्रॉपको") और उसकी सहयोगी कंपनियों द्वारा की गई कथित धोखाधड़ी, वित्तीय हेरफेर, मूल्य हेरफेर और नियामक उल्लंघनों की जांच के लिए SEBI, RBI और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की।

    यह याचिका मीडिया रिपोर्ट पर आधारित है, जिसके अनुसार "डेलावेयर, संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित खोजी वित्तीय अनुसंधान फर्म और शॉर्ट सेलर, वायसराय रिसर्च LLC ने 09.07.2025 को शोध रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें उपरोक्त कंपनियों द्वारा की गई धोखाधड़ी, वित्तीय हेरफेर, मूल्य हेरफेर और नियामक उल्लंघनों पर प्रकाश डाला गया।"

    याचिका में आगे कहा गया कि उक्त वित्तीय उल्लंघनों के संबंध में वायसराय ने खुलासा किया कि उन्होंने संबंधित नियामक निकायों को अभ्यावेदन दिया। हालांकि, अधिकारियों द्वारा अब तक कोई सक्रिय कदम नहीं उठाया गया।

    इसमें कहा गया:

    "तदनुसार, उक्त वायसराय ने लेख प्रकाशित किए, जिनमें उन्होंने नियामक संस्थाओं SEBI और RBI के समक्ष प्रतिनिधित्व और शिकायत दर्ज कराई। हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद याचिकाकर्ता को इकोनॉमिक टाइम्स ऑफ इंडिया में आर्टिकल मिला, जिसमें कहा गया कि वायसराय सेबी से प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने 09.07.2025 की उनकी रिपोर्ट की सत्यता का आकलन करने में मदद की पेशकश की।"

    यह याचिका AoR श्याम डी नंदन की सहायता से दायर की गई।

    Case Details: SHAKTI BHATIA Versus UNION OF INDIA AND ORS W.P.(C) No. 832/2025

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