जस्टिस चंद्रचूड़ ने नागरिकों के कष्टों को कम करने में कोई कसर नहीं रखीः अवध बार एसोसिएशन ने उनके खिलाफ लिखे पत्र की निंदा की
Avanish Pathak
10 Oct 2022 3:43 PM IST

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
अवध बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को बदनाम करने की कोशिशों की निंदा की है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू को लिखे पत्र में आरके पठान नामक शख्स द्वारा जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ लिखे गए पत्र को निंदनीय, प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण प्रयास बताया।
पठान के कृत्य की निंदा करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके चौधरी ने राष्ट्रपति मुरमू से अनुरोध किया है कि वे जस्टिस चंद्रचूड़ को बदनाम करने के प्रयास में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई करें।
एसोसिएशन ने कहा है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने विभिन्न ऐतिहासिक निर्णयों के जरिए देश के नागरिकों के कष्टों को कम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने मौलिक अधिकारों को संरक्षित करके संविधान के आदर्शों को बरकरार रखा है।
एसोसिएशन ने आगे कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ के पास अतुलनीय ज्ञान और क्षमता है। उनके कार्यों न्याय के प्रसार में उनकी ईमानदार भूमिका के गवाह हैं। इसके अलावा, एसोसिएशन ने दोहराया है कि जस्टिस चंद्रचूड़ उत्तर प्रदेश राज्य के वकीलों के बीच काफी सम्मान रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की छवि को धूमिल करने के लिए "कुछ निहित स्वार्थ वाले लोगों द्वारा किए गए प्रयासों" की निंदा की थी। जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले संभावित जजों में अगली पंक्ति में हैं।
पठान द्वारा जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ लिख एक पत्र की आलोचना करते हुए बीसीआई ने कहा, "यह न्यायपालिका के कामकाज और न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने के भयावह और दुर्भावनापूर्ण प्रयास के अलावा कुछ भी नहीं है।"
बीसीआई के पत्र में पठान के पत्र के समय पर भी सवाल उठाया गया है। दरअसल केंद्रीय कानून मंत्री ने हाल ही में मौजूदा सीजेआई यूयू ललित से उनके उत्तराधिकारी का नाम पूछा है।
बार काउंसिल ने बताया कि पठान और दो अन्य व्यक्ति, जिन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ शिकायत दर्ज की है, उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान अवमानना याचिका में झूठे मुकदमा दायर करने का दोषी पाया था और तीन महीने के समान्य कारवास की सजा सुनाई गई थी। अप्रैल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आरके पठान और दो अन्य लोगों को जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस विनीत सरन के खिलाफ अदालत की अवमानना के लिए सजा सुनाई थी।

