सीपीसी आदेश IX नियम 13 : सुप्रीम कोर्ट ने समन लेने से इनकार करने वाले प्रतिवादी को एकतरफा आदेश खारिज करने की मांग का हकदार नहीं माना

LiveLaw News Network

30 Sept 2021 10:11 AM IST

  • सीपीसी आदेश IX नियम 13 : सुप्रीम कोर्ट ने समन लेने से इनकार करने वाले प्रतिवादी को एकतरफा आदेश खारिज करने की मांग का हकदार नहीं माना

    सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश IX नियम 13 के तहत एक पक्षीय डिक्री को रद्द करने की अनुमति दी गई थी।

    इस मामले में प्रतिवादी ने वाद में जारी समन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। वाद के एकतरफा निर्णय के बाद, निष्पादन की कार्यवाही शुरू की गई थी। प्रतिवादी ने विवादित संपत्ति के संबंध में नीलामी नोटिस प्राप्ति की विधिवत स्वीकृति दी थी। नीलामी इस प्रकार किए जाने के बाद ही उन्होंने संहिता के आदेश IX नियम 13 के तहत अर्जी दायर की थी।

    यद्यपि ट्रायल कोर्ट ने आवेदन को खारिज कर दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने अपील में इसकी अनुमति दे दी।

    हालांकि हाईकोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी सतर्क नहीं था, जैसा कि उसे होना चाहिए था, लेकिन उसने कहा कि,

    "उसका यह आचरण उसे एक गैर-जिम्मेदार वादी के रूप में पेश करने के लिए पूरी तरह वांछित नहीं है।"

    हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता की अनुपस्थिति के कारण वादी को हुई असुविधा की क्षतिपूर्ति उचित लागत वहन करके की जा सकती है।

    हाईकोर्ट द्वारा वाद को बहाल करने से व्यथित वादी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की एक पीठ ने कहा कि संहिता के आदेश V नियम 9 के उप-नियम (5) में अन्य बातों के साथ-साथ कहा गया है कि यदि प्रतिवादी या उसके एजेंट ने समन से संबंधित डाक की डिलीवरी लेने से इनकार कर दिया था, समन जारी करने वाला कोर्ट घोषित करेगा कि प्रतिवादी को समन विधिवत तामील किया गया था।

    बेंच ने सामान्य खंड अधिनियम, 1897 की धारा 27 का भी उल्लेख किया, जिसके अंतर्गत नोटिस तामील माना जाता है जब इसे पंजीकृत डाक द्वारा सही पते पर भेजा गया हो।

    यह नोट किया गया कि 'सी.सी. अलावी हाजी बनाम पलापेट्टी मुहम्मद और एआर एआईआर 2007 एससी (सप्लीमेंट) 1705' मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि जब एक नोटिस पंजीकृत डाक द्वारा भेजा जाता है और "अस्वीकार" या "घर में उपलब्ध नहीं है" या "घर बंद" या "दुकान बंद" या "पताकर्ता मौजूद नहीं" जैसे डाक पृष्ठांकन के साथ वापस किया जाता है तो उसे उचित सेवा मान ली जानी चाहिए।

    इसलिए कोर्ट ने माना कि प्रतिवादी सतर्क नहीं था।

    कोर्ट ने कहा,

    "उपरोक्त विशेषताओं के आलोक में और इस तथ्य के आलोक में कि नीलामी की अनुमति दी गई थी, प्रतिवादी संख्या 1 को किसी भी राहत का दावा करने से वंचित कर दिया गया था जैसा कि प्रार्थना की गई थी। इसके अलावा, नीलामी में कार्यवाही पूरी होने के बाद, अपीलकर्ता के पक्ष में बिक्री प्रमाण पत्र भी जारी किया गया था।"

    कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सीपीसी के आदेश IX नियम 13 के तहत आवेदन की अनुमति दी गई थी।

    मामले का विवरण

    केस शीर्षक: विश्वबंधु बनाम श्री कृष्ण एवं अन्य

    साइटेशन : एलएल 2021 एससी 517

    उपस्थिति: अपीलकर्ता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन; प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव

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