सीआरपीसी की धारा 406 में प्रदत्त शक्तियों के तहत जांच (Investigation) को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

19 Aug 2020 10:47 AM GMT

  • सीआरपीसी की धारा 406 में प्रदत्त शक्तियों के तहत जांच (Investigation) को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

    "केवल मुकदमे और अपील स्थानांतरित किये जा सकते हैं, जांच नहीं।"

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 की धारा 406 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करके जांच को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।

    न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने यह टिप्पणी सुनाये गये उस फैसले में की जिसमें उन्होंने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में बिहार की राजधानी पटना में दर्ज प्राथमिकी को मुंबई स्थानांतरित करने की मॉडल रिया चक्रवर्ती की मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने व्यवस्था दी कि बिहार पुलिस को सुशांत सिंह राजपूत की मौत के संदर्भ में उनके पिता की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार मौजूद है। न्यायालय ने साथ ही मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने को भी वैध ठहराया।

    इस मामले में कोर्ट द्वारा विचारणीय प्रश्नों में से एक था कि क्या सुप्रीम कोर्ट को सीआरपीसी की धारा 406 के तहत जांच को (मुकदमा या अपील को नहीं) स्थानांतरित करने का अधिकार है या नहीं। बिहार सरकार ने रिया चक्रवर्ती की स्थानांतरण याचिका की स्वीकार्यता का यह कहकर विरोध किया था कि सीआरपीसी की धारा 406 में प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करके जांच कार्य स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।

    इस मुद्दे पर अपने जवाब के लिए न्यायमूर्ति रॉय ने 'रामचंद्र सिंह सागर बनाम तमिलनाडु सरकार (1978) 2 एससीसी 35' मामले में दिये फैसले का हवाला दिया, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि सीआरपीसी की धारा 406 कोर्ट को देश के एक पुलिस स्टेशन से दूसरे पुलिस स्टेशन जांच स्थानांतरित करने का अधिकार सिर्फ इसलिए नहीं देती, क्योंकि प्रथम सूचना या रिमांड रिपोर्ट कोर्ट का अग्रसारित किया जाना होता है।

    जज ने कहा :

    " याचिकाकर्ता द्वारा जांच के स्थानांतरण की अनुमति से संबंधित विरोधाभासी संदर्भ किसी भी तरीके से धारा 406 के तहत जांच स्थानांतरित करने के अधिकार के निर्धारण को संदर्भित नहीं करता है। संबंधित मामले में कानून पर विचार किये बिना तथा 'रामचंद्र सिंह सागर' मामले में निर्धारित मानकों को नजरंदाज करके राहत प्रदान की गयी थी। सीआरपीसी की धारा 406 के तहत शक्तियों की सीमा पर विचार करते हुए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि केवल मुकदमे और अपील ही स्थानांतरित किये जा सकते हैं, जांच नहीं।"

    कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 406 सुप्रीम कोर्ट को केवल मुकदमों और अपीलों को ही स्थानांतरित करने का अधिकार प्रदान करती है।

    कोर्ट ने आगे कहा :

    "इस अधिकार के इस्तेमाल का दायरा न्याय सुलभ कराने के लिए है। पूर्व के दृष्टांत यह दर्शाते हैं कि सीआरपीसी की धारा 406 के तहत स्थानांतरण याचिका को वैसे मामलों में मंजूरी दी गयी थी जहां कोर्ट को ऐसा लगता है कि मुकदमे की सुनवाई पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकती है और यदि ट्रायल जारी रखा गया तो निष्पक्ष और तटस्थ न्यायिक कार्यवाही नहीं हो सकती।"

    कोर्ट ने राम चंदर सिंह सागर मामले में न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर की निम्नांकित टिप्पणियों का भी उल्लेख किया :

    "अपराध प्रक्रिया संहिता इस कोर्ट को धारा 406 के तहत एक मामले या अपील को एक हाईकोर्ट या एक अधीनस्थ अदालत से दूसरे हाईकोर्ट या दूसरी अधीनस्थ अदालत में स्थानांतरित करने का अधिकार प्रदान करती है, लेकिन यह कोर्ट को एक पुलिस स्टेशन से देश के दूसरे पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने का अधिकार महज इसलिए नहीं देती है, क्योंकि प्रथम सूचना या रिमांड रिपोर्ट कोर्ट को अग्रसारित किया जाना होता है।"

    केस का विवरण

    केस का नाम : रिया चक्रवर्ती बनाम बिहार सरकार

    केस नं. : ट्रांसफर पिटीशन (क्रिमिनल) संख्या 225/2020

    कोरम : न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय

    वकील : सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान (याचिकाकर्ता के लिए), सीनियर एडवोकेट मनिन्दर सिंह (बिहार सरकार के लिए), सीनियर एडवोकेट विकास सिंह (सुशांत के पिता के. के. सिंह के लिए), सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी एवं आर बसंत (महाराष्ट्र सरकार के लिए) और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (केंद्र सरकार के लिए)

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