जीएसटी फैसले पर लिखे गए लेख दिलचस्प: जस्टिस चंद्रचूड़

Avanish Pathak

26 May 2022 11:45 AM IST

  • जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

    सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि वह अपने एक फैसले पर लिखे गए आलेखों पर "रीझ" गए हैं। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने स‌ीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की, जो ओडिशा राज्य द्वारा जीएसटी की मांग के खिलाफ जिंदल माइनिंग समूह द्वारा दायर एक याचिका का उल्लेख कर रहे थे।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने साल्वे से कहा, "मैं फैसले के विभिन्न पहलुओं पर लिखे जा रहे आलेखों पर मोहित हूं... कोऑपरेटिव फेडरलिल्म जैसे पहलुओं पर लेख लिखे जा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आपने फैसला पढ़ा होगा।"

    "आखिरकार हमने समग्र आपूर्ति के पहलू पर फैसला सुनाया", जज ने कहा।

    दरअसल जस्टिस चंद्रचूड़ 19 मई को यूनियन ऑफ इंडिया बनाम मोहित मिनरल्स मामले में दिए गए फैसले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें कहा गया था कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें केंद्र और राज्यों की विधायी शक्तियों को बांध नहीं सकती है। संविधान के अनुच्छेद 246A के अनुसार, केंद्र और राज्यों दोनों के पास जीएसटी पर एक साथ विधायी शक्तियां हैं।

    कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, "जीएसटी काउंसिल की 'सिफारिशें' एक सहयोगी संवाद का उत्पाद हैं, जिसमें यूनियन और राज्यों शामिल हैं। वे प्रकृति में अनुशंसात्मक हैं। उन्हें बाध्यकारी आदेशों के रूप में मानने से राजकोषीय फेडरलिज्म बाधित होगा, जहां केंद्र और राज्यों दोनों को जीएसटी पर कानून बनाने के लिए समान शक्ति प्रदान की जाती है।"

    निर्णय ने जीएसटी परिषद के असमान मतदान ढांचे को संदर्भित किया, जिसमें केंद्र के पास 1/3 वोट और राज्यों के पास शेष 2/3 वोट हैं, और कहा कि यह केंद्र और राज्यों के बीच "राजनीतिक प्रतिस्पर्धा" का एक अवसर हो सकता है, खासकर यदि अलग-अलग पार्टियां शासन कर रही हों।

    फैसले में "अनकोऑपरेटिव फेडरलिज्म" की दिलचस्प अवधारणा पर भी यह कहकर चर्चा की गई कि संवैधानिक ढांचे के भीतर केंद्र और राज्यों के बीच कुछ हद तक संघर्ष और घर्षण लोकतंत्र के सिद्धांतों को आगे बढ़ाता है।

    कोर्ट ने यह भी माना कि समुद्री माल सेवा पर भारतीय आयातकों पर आईजीएसटी की अलग से लेवी टिकाऊ नहीं है, जब समग्र आपूर्ति पर पहले ही कर का भुगतान किया जा चुका था।

    Next Story