ऑनर किलिंग : परिजनों की मर्जी के खिलाफ शादी करने वाली बेटी की हत्या के आरोपी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दी
LiveLaw News Network
12 July 2020 10:08 PM IST
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को अपनी ही बेटी की हत्या करने के आरोपी व्यक्ति को यह कहते हुए जमानत दे दी कि पूरा मामला निर्विवाद रूप से परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। मामले में आरोप यह है कि आरोपी की बेटी ने उसकी मर्जी के खिलाफ जाकर शादी कर ली थी,इसलिए उसकी हत्या कर दी गई।
न्यायमूर्ति प्रकाश देव नाइक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराध के आरोपी राजकुमार चौरासिया की तरफ से दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई की। घाटकोपर में एक पगडंडी के पास उसकी बेटी का शव मिला था, जिसके बाद उसे 15 जुलाई 2019 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मृतक ने आवेदक की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी की थी। मृतका का पति उसको लेकर अपने पैतृक स्थान पर जाना चाहता था। यह बात आवेदक को पंसद नहीं आई थी क्योंकि इससे ''उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता।'
इसलिए 13 जुलाई 2019 को आवेदक ने मृतका को घटना स्थल पर बुलाया और दरांती से उसकी हत्या कर दी। पीड़िता का शव घाटकोपर में एक पगडंडी के पास फेंक दिया गया था। शव बरामद होने और जांच शुरू होने के बाद आवेदक को गिरफ्तार कर लिया गया था। जांच के दौरान आवेदक के पास से उक्त दरांती बरामद हुई। जांच पूरी करने पर पुलिस ने चार्जशीट दायर की दी थी।
आवेदक की ओर से अधिवक्ता गणेश गुप्ता पेश हुए और कहा कि पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। आवेदक के खिलाफ कोई भी ठोस सबूत नहीं है और गिरफ्तारी के दिन से ही वह हिरासत में है। न ही आवेदक की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि है। वकील गुप्ता ने कहा कि आवेदक और मृतका के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण था।
एडवोकेट गुप्ता ने कहा कि इसके अलावा धारा 27 के तहत की गई रिकवरी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि बयान में कहा गया है कि अपराध के लिए चाकू का इस्तेमाल हुआ है,जबकि आरोपी से जो बरामद हुआ है,वह एक दरांती है। इस विशेष सिकल या दरांती को बनाने वाले का बयान भी दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन आवेदक को कथित दरांती बेचने वाले व्यक्ति का बयान दर्ज किया गया है।
वहीं आरोपी की शिनाख्त में भी कई विसंगति है, क्योंकि आरोपी की पहचान परेड आयोजित नहीं करवाई गई थी और उसने थाने में ही आरोपी को देखा था। आवेदक के मोबाइल की टॉवर लोकेशन के अनुसार वह कुर्ला के पास था, जबकि मृतका का शरीर घाटकोपर में पाया गया था।
दूसरी ओर अतिरिक्त लोक अभियोजक रुतुजा अम्बेकर ने दलील दी कि आवेदक का अपराध करने का एक मजबूत मकसद है। सीडीआर से पता चलता है कि घटना के दिन आवेदक और मृतका के बीच कई कॉल हुई थी। टॉवर लोकेशन से पता चलता है कि आवेदक मृतका के साथ घटना स्थल पर मौजूद था।
आवेदक को दरांती बेचने वाले व्यक्ति के बयान से पता चलता है कि आरोपी अपराध में लिप्त था क्योंकि उसने आरोपी को पहचाना है। इसके अलावा, सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि आवेदक ने सायन में स्थित एक दुकान पर जूस का सेवन किया था और दुकान के मालिक ने आवेदक की पहचान कर ली है। इस प्रकार आवेदक के खिलाफ मजबूत सबूत हैं।
अंत में न्यायालय ने कहा कि-
''निर्विवाद रूप से यह मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। हालांकि घाटकोपर में पगडंडी पर शव मिला है परंतु इस घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। जैसा कि आवेदक के वकील ने इंगित किया है कि रिकवरी संबंधी बयान में विसंगति है।
इस कथित रिकवरी बयान में उल्लेख किया गया है कि आरोपी अपराध में इस्तेमाल किए गए चाकू को दिखाने के लिए तैयार था और बाद में दरांती बरामद की गई थी। टावर लोकेशन के संबंध में पुलिस की रिपोर्ट को देखने के बाद ऐसा नहीं लगता है कि आवेदक घाटकोपर में था।''
न्यायमूर्ति नाइक ने अभियोजन पक्ष की उस दलील को भी स्वीकार नहीं किया,जिसमें सीडीआर पर भरोसा करते हुए कहा गया था कि आवेदक और मृतका के बीच कई कॉल हुई थी-
''चूंकि मृतका आवेदक की बेटी थी, इसलिए इन कॉल के संबंध में उसके खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिकूलता नहीं निकाली जा सकती है या उसके खिलाफ प्रयोग नहीं किया जा सकता है, जिस व्यक्ति ने आवेदक को कथित रूप से दरांती बेची थी, उसने उसे पुलिस स्टेशन में पहचाना था। आवेदक की कोई पहचान परेड नहीं करवाई गई थी।''
इस प्रकार न्यायालय ने जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया। आवेदक को 25 हजार रुपये के निजी मुचलके व एक या अधिक जमानतदार लाने की शर्त पर यह जमानत दी गई है।
केस नंबर-आपराधिक जमानत अर्जी नंबर 314/2020
केस का नाम- राजकुमार चैरसिया बनाम महाराष्ट्र राज्य
कोरम- जस्टिस पीडी नाइक
प्रतिनिधित्व-आवेदक के लिए एडवोकेट गणेश गुप्ता और राज्य के लिए एपीपी रुजुता अम्बेकर