सरकार CAA-NRC-NPR के खिलाफ किसी भी विरोध को कुचलने की कोश‌िश कर रही है; महिला कार्यकर्ताओं पर दुर्भावनापूर्ण मुकदमो के मामले में NHRC से हस्तक्षेप की मांग

LiveLaw News Network

18 Jun 2020 1:47 PM GMT

  • सरकार CAA-NRC-NPR के खिलाफ किसी भी विरोध को कुचलने की कोश‌िश कर रही है; महिला कार्यकर्ताओं पर दुर्भावनापूर्ण मुकदमो के मामले में NHRC से हस्तक्षेप की मांग

    सौ से अधिक नागरिकों ने, जिनमें महिला आंदोलनों से जुड़े लोग, नारीवादी कार्यकर्ता, पत्रकार, फिल्म निर्माता, आदि शामिल हैं, ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) एचएल दत्तू को पत्र लिखा है कि महिला कार्यकर्ताओं और मानवा‌ध‌िकार कर्मी जैसे सफुरा जरगर, देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, गुलफ‌िशा फातिमा और इशरत जहां, के ‌खिलाफ "राजनीतिक प्रतिशोध और दुर्भावना" के तहत दर्ज किए जा रहे मुकदमों के मुद्दे पर वह हस्तक्षेप करें।

    पत्र में कहा गया है, "हम नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करने और भागीदारी करने वाली महिला कार्यकर्ताओं के निरंतर उत्पीड़न और अपराधीकरण के मामले में आपके तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं और यह घोषणा कि CAA के बाद नागरिकों के ‌लिए राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC)और एक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का भी लागू किया जाएगा, में हस्तक्षेप की मांग करते हैं।"

    पत्र में कहा गया है कि पिछले दो महीनों में लक्षित गिरफ्तारी और अभियोगों का पैटर्न, इस धारणा को जन्म दे रहा है कि भारत सरकार COVID-19 लॉकडाउन का उपयोग CAA-NRC-NPR के खिलाफ आंदोलन को कुचलने के लिए कर रही है। इस राजनीतिक प्रतिशोध के अहम निशाने पर युवा महिला छात्र-कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने दिल्ली में हुए धरनों में भाग लिया था।

    देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, एक महिलावादी समूह पिंजरा तोड़ की सदस्य हैं, जो दिल्ली विश्वविद्यालय की महिला छात्रावासियों और छात्रों के अधिकारों के लिए अभियान चलाती हैं। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रिसर्च स्‍कॉलर भी हैं। उन्होंने सीलमपुर में हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। सफूरा जरगर एम फिल की छात्रा हैं और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। वह जामिया मिल्ल‌िया इस्लामियों में आयोजित हुए विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा थीं। इशरत जहां वकील और पूर्व नगर पार्षद हैं। वह खुरेजी खास के विरोध में प्रदर्शन में शामिल थीं और 28 वर्षीय गुलफ़िशा फातिमा एमबीए की छात्रा है। वह उन कई सौ स्थानीय महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने सीलमपुर में विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था।

    पत्र में कहा गया है-

    "ये युवा महिलाएं राजनीतिक कार्यकर्ताओं की नवीनतम पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो महिलाओं के मानवाधिकारों की रक्षा में खड़ी हैं। CAA-NRC-NPR के खिलाफ आंदोलन में शामिल होकर, उन्होंने संविधान और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के तहत अपने अधिकारों और स्वतंत्रता का दावा किया है।

    इन युवतियों की गिरफ्तारी और उत्पीड़न पूरी तरह से अनुचित है। UAPA के तहत साजिश सहित कई आरोपों में उन्हें एक या एक से अधिक एफआईआर में नामजद किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि उन पर हिंसा में शामिल होने का आरोप नहीं है। इसके अलावा, वे जांच में सहयोग कर रही हैं और पुलिस की पूछताछ के लिए खुद पेश हो रही हैं। उन्हें हिरासत में रखने की जिद असंगत और अतार्किक है।"

    पत्र दिल्ली चुनावों के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दिए गए नफरत फैलाने वाले भाषणों के अलावा, सत्ताधारी पार्टी के अन्य सदस्यों द्वारा दिए गए नफरत फैलाने वाले भाषणों की ओर भी इशारा किया गया है।

    पत्र में बताया गया है कि दंगों और गिरफ्तारियों के तथ्यों को भी विकृत और बाधित करने का व्यवस्थित प्रयास किया जा रहा है-

    "दिल्ली पुलिस, जो सीधे केंद्रीय गृह मंत्री को रिपोर्ट करती है, ने लॉकडाउन का लाभ उठाकर यह कार्रवाई की है, मीडिया और जनता का ध्‍यान दूसरे मुद्दों पर जाने से, और अदालतों के कामकाज में आए अवरोधों से उन्हें मदद मिली है।

    मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, COVID-19 लॉकडाउन के दौरान 800 से अधिक CAA-NRC-NPR विरोधी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है। उन्हें वकीलों और कानूनी सहायता नहीं दी जा रही है। उन्हें परिवारों से संपर्क करने से भी वंचित कर दिया गया है।"

    पत्र में कहा गया है कि गिरफ्तार की गई उपरोक्त महिला कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

    पत्र NHRC से ‌निम्न निर्देशों की मांग की गई है-

    1. दिल्ली पुलिस को CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सभी दर्ज एफआईआर को सार्वजनिक करने के लिए और 23-27 फरवरी के बीच दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज एफआईआर और जांच की स्थिति को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया जाए।

    2. महिला कार्यकर्ताओं की जमानत याचिका पर दोबारा विचार करने और जमानत के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं को किसी भी शर्त पर जमानत देने की सिफारिश करें।

    3. गर्भावस्था और COVID-19 के मद्देनजर सफूरा जरगर बिना शर्त जमानत देने की सिफारिश करें

    4. NHRC अधिनियम की धारा 12 (ए) (i) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुसार, दिल्ली पुलिस द्वारा CAA प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों में तत्काल जांच का गठन किया जाए, जिससे यह निर्धारित हो सके कि क्या दिल्ली पु‌लिस पक्षपातपूर्ण जांच और दुर्भावनापुर्ण अभियोजन से मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं?

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