'हाईकोर्ट जाएं': सरकारी मेडिकल कॉलेजों के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के खिलाफ जनहित याचिका खारिज
Shahadat
10 Nov 2025 10:21 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल अपनाने का विरोध करने वाली जनहित याचिका खारिज की।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह आदेश धर्म प्रचारक डॉ. के.ए. पॉल द्वारा दायर याचिका पर पारित किया, जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए।
सुनवाई के दौरान, जस्टिस कांत ने जनहित याचिका को "विलासितापूर्ण मुकदमेबाजी" कहा और सवाल किया कि लोग सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए "इतने पागल" क्यों हो रहे हैं। जज ने कहा कि दिए गए तर्क मूलतः आंध्र प्रदेश से संबंधित हैं लेकिन याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 32 के आह्वान को उचित ठहराने के लिए अन्य राज्यों को भी पक्षकार बनाया।
जस्टिस कांत ने टिप्पणी की,
"क्या कारण है कि लोग सुप्रीम कोर्ट आने के लिए इतने पागल हैं? आप केवल सुर्खियां बटोरना चाहते हैं और आपको लगता है कि सुप्रीम कोर्ट केवल इस तरह के विलासितापूर्ण मुकदमों के लिए ही है।"
जज ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि हाईकोर्ट का अधिकार क्षेत्र (अनुच्छेद 226 के अंतर्गत) सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र (अनुच्छेद 32 के अंतर्गत) से व्यापक है।
आदेश इस प्रकार दिया गया:
"रिट याचिका में दिए गए ठोस तर्क आंध्र प्रदेश राज्य से संबंधित हैं। हालांकि, अनुच्छेद 32 के अंतर्गत रिट याचिका दायर करने को उचित ठहराने के लिए याचिकाकर्ता ने जानबूझकर कुछ अन्य राज्यों को भी पक्षकार-प्रतिवादी के रूप में शामिल किया। हम अनुच्छेद 32 के अंतर्गत इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। यदि याचिकाकर्ता को ऐसा करने की सलाह दी जाए तो वह अधिकार क्षेत्र वाले हाईकोर्ट का रुख कर सकता है।"
बता दें, सितंबर में टीडीपी के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने 10 मेडिकल कॉलेजों के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए पीपीपी मॉडल लागू किया, जिन्हें पिछले वर्षों में स्वीकृत किया गया लेकिन पूरा नहीं किया गया। इस निर्णय की चिकित्सा शिक्षा के निजीकरण के रूप में निंदा की गई।
इस पृष्ठभूमि में वर्तमान याचिका में निम्नलिखित विशिष्ट राहतों की मांग की गई:
- आंध्र प्रदेश राज्य को सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए पीपीपी/डीबीएफओटी मॉडल से संबंधित सभी कैबिनेट नोट्स, सरकारी आदेश, एपीएमएसआईडीसी निविदा दस्तावेज़ और रियायत समझौतों के मसौदे को रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया जाए।
- कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों को न्यायिक जांच लंबित रहने तक सरकारी मेडिकल कॉलेजों या अस्पतालों के लिए पीपीपी/डीबीएफओटी मॉडल अपनाने या आगे बढ़ने से परहेज करने का निर्देश दिया जाए।
- न्यायालय के अगले आदेश तक प्रतिवादियों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबंधित किसी भी रियायत या पट्टा समझौते को अंतिम रूप देने या निष्पादित करने से रोका जाए।
- घोषणा कि सभी सार्वजनिक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की भूमि और संपत्तियां भारमुक्त सार्वजनिक संपत्ति रहेंगी और इस सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला कोई भी समझौता शुरू से ही शून्य माना जाएगा।
Case Title: DR. K.A. PAUL @ KILARI ANAND Versus UNION OF INDIA AND ORS., W.P.(C) No. 1035/2025

