एनडीपीएस एक्‍ट की धारा 67 के तहत दर्ज इकबालिया बयान अस्वीकार्य, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

LiveLaw News Network

19 Jan 2022 9:58 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज इकबालिया बयान एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध के मुकदमे में अस्वीकार्य रहेगा।

    सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हेमा कोहली की पीठ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की ओर से दायर एक अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें धारा 8 (सी), 8 ए सहपठित धारा नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 की धारा 20 (बी), 21, 22, 27 ए, 27 बी, 28 और 29 के तहत दंडनीय अपराधों के आरोपी व्यक्तियों को कर्नाटक हार्हकोर्ट द्वारा जमानत पर रिहा करने के आदेशों को चुनौती दी गई थी।

    अदालत ने कहा कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज अभियुक्तों/सह-अभियुक्तों के स्वैच्छिक बयानों को छोड़कर, गिरफ्तारी के समय अभियोजन पक्ष के पास आरोपियों को उनके खिलाफ लगे मादक पदार्थों की तस्करी के आरोपों से जोड़ने के लिए कोई ठोस सामग्री उपलब्ध नहीं थी।

    इसलिए, हाईकोर्ट के आदेशों (एक आरोपी के आदेश को छोड़कर) में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए, पीठ ने कहा,

    "10. यह तोफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य (2021) 4 एससीसी 1 में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज एक इकबालिया बयान एनडीपीएस एक्ट के तहत एक अपराध के मुकदमे में अस्वीकार्य रहेगा। उक्त निर्णय के तहत, याचिकाकर्ता-एनसीबी द्वारा प्रतिवादियों या सह-अभियुक्तों के स्वीकारोक्ति/स्वैच्छिक बयानों के आधार पर एनडीपीएस एक्ट की धारा 67 के तहत की गई गिरफ्तारी, आक्षेपित आदेश पलटने का आधार नहीं बन सकती है। कुछ अभियुक्तों का सीडीआर विवरण या प्रतिवादियों में से किसी एक की ओर से सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप एक पहलू है, जिसकी ट्रायल के स्तर पर जांच की जाएगी।"

    एक आरोपी के बारे में, अदालत ने नोट किया कि उसे 16 जून, 2019 को गिरफ्तार किया गया था और उसके किराए के आवास से पर्याप्त मात्रा में नशीली दवाओं की बरामदगी के संबंध में उसके खिलाफ विशेष आरोप लगाए गए हैं।

    एनसीबी द्वारा उक्त आरोपी के लिए दायर अपील को अनुमति देते हुए पीठ ने कहा, "हमारा दृढ़ मत है कि ए -2 पूर्वोक्त सह-आरोपियों के साथ समानता की मांग नहीं कर सकता है और एक्ट की धारा 37 के मद्देनजर उसे ऐसा कोई लाभ नहीं दिया जा सकता था जब उसके पास मनोदैहिक पदार्थों की वाणिज्यिक मात्रा पाई गई है।"

    केस शीर्षकः स्टेट बाय (एनसीबी) बेंगलुरु बनाम पल्लुलाबिद अहमद अरिमुट्टा

    सिटेशनः 2022 लाइव लॉ (एससी) 63

    मामला संख्या/दिनांक 2021 का एसएलपी (सीआरएल) 1569 | 10 जनवरी 2022

    कोरमः सीजेआई एनवी रमाना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हिमा कोहली

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