'आप PIL दाखिल करने के अलावा मजदूरों की मदद नहीं कर सकते : SG, आप हमें 15 लाख लोगों को खाना खिलाने के लिए कह रहे हैं ? : भूषण

LiveLaw News Network

21 April 2020 5:33 PM IST

  • आप PIL दाखिल करने के अलावा मजदूरों की मदद नहीं कर सकते :  SG,  आप हमें 15 लाख लोगों को खाना खिलाने के लिए कह रहे हैं ? : भूषण

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जब COVID-19 के कारण लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों को मज़दूरी के भुगतान के लिए सरकार से निर्देश मांगने वाली एक याचिका पर सुनवाई शुरू की तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि "कुछ लोगों का सामाजिक कार्य केवल जनहित याचिका दाखिल करने तक ही सीमित है।"

    दरअसल जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ, एक्टिविस्ट हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन प्रवासी श्रमिकों को भोजन, बुनियादी जरूरतों और आश्रय तक पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था जो देशव्यापी लगाए गए लॉकडाउन के प्रकाश में सख्त तनाव में हैं।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने टिप्पणी की कि जब हजारों संगठन कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं और इन कोशिशों में सरकार के सहयोग से काम कर रहे हैं, कुछ लोगों का सामाजिक काम अपने घरों से आराम से PIL दाखिल करने तक ही सीमित रह गया।

    ये प्रस्तुतियां वकील प्रशांत भूषण की दलीलों के बाद आईं, जो एक्टिविस्टों के लिए पेश हो रहे थे। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड पर अध्ययन है कि 11,000 से अधिक श्रमिकों को एक महीने पहले लॉकडाउन लागू होने के बाद से न्यूनतम मज़दूरी का भुगतान नहीं किया गया है।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा,

    "किसने कहा कि किसी को भुगतान नहीं किया गया है? क्या आपका संगठन PIL दाखिल करने के बजाय किसी अन्य तरीके से श्रमिकों की मदद नहीं कर सकता है?"

    इस पर, वकील प्रशांत भूषण ने पलटवार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही अपना काम कर दिया है और भोजन वितरित कर रहे हैं, लेकिन क्या आप चाहते हैं कि हम 15 लाख लोगों को खिलाएं?"

    इस आदान-प्रदान के दौरान, पीठ ने पाया कि ये वास्तव में असामान्य परिस्थितियां हैं और इसमें शामिल सभी हितधारक बड़े पैमाने पर जनता के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं।

    3 अप्रैल को जब इस याचिका को शीर्ष अदालत ने सुना था, सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि "जब तक देश इस संकट से बाहर नहीं निकलता है, तब तक PIL की दुकानें बंद होनी चाहिएं।"

    जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि "वातानुकूलित कार्यालय में बैठकर बिना किसी जमीनी स्तर की जानकारी या ज्ञान के जनहित याचिका तैयार करना 'सार्वजनिक सेवा नहीं है।'

    इससे पहले पिछले हफ्ते, स्वामी अग्निवेश ने याचिका दायर की थी, जिसमें कोरोनोवायरस संकट के दौरान गरीबों को तत्काल राहत प्रदान करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस , जो स्वामी अग्निवेश के लिए पेश हुए थे, ने कहा था कि लॉकडाउन ने एक बहुत बड़ा संकट पैदा कर दिया है और यह कि वहां जमीन पर कोई वास्तविक कार्य नहीं किया जा रहा है जैसा कि सॉलिसिटर जनरल दावा कर रहे हैं।

    तुषार मेहता ने टिप्पणी की कि

    "इस विशेष याचिका के संबंध में मेरे पास गंभीर आरक्षण हैं। ये स्वरोजगार पैदा करने वाली याचिकाएं हैं। इस तरह की याचिकाओं पर कोर्ट को सुनवाई नहीं करनी चाहिए। मुझे इस तरह की याचिकाओं पर गंभीर समस्याएं हैं।"

    Next Story