क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपी व्यक्ति की संपत्ति को धारा 102 CrPC के तहत जब्त या फ्रीज किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट तय करेगा

Shahadat

30 Jan 2025 12:48 PM IST

  • क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपी व्यक्ति की संपत्ति को धारा 102 CrPC के तहत जब्त या फ्रीज किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट तय करेगा

    इस मुद्दे पर हाईकोर्ट के अलग-अलग विचारों की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए तैयार है कि क्या धारा 102 CrPC, जो पुलिस अधिकारी की कुछ संपत्ति जब्त करने की शक्ति से संबंधित है, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज आपराधिक मामले पर लागू होगी।

    जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पीके मिश्रा की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर याचिका में हाल ही में पारित आदेश में कहा,

    "याचिकाकर्ता ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों से उत्पन्न मामलों में CrPC की धारा 102 के प्रावधान के तहत प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा शक्ति के प्रयोग के संबंध में दिलचस्प मुद्दा उठाया है।"

    न्यायालय ने कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पारित विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर भी रोक लगा दी, जिसमें अभियुक्त-प्रतिवादी के बैंक अकाउंट को इस आधार पर फ्रीज करने को खारिज कर दिया गया कि ऐसा CrPC की धारा 102 के तहत किया गया।

    संक्षेप में कहें तो यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोपी व्यक्ति से संबंधित है, जिसकी सावधि जमा खातों सहित परिसंपत्तियों को अधिकारियों ने CrPC की धारा 102 के तहत फ्रीज कर दिया। इससे व्यथित होकर अभियुक्त ने कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष बैंक अकाउंट्स को फ्रीज करने को चुनौती दी, जहां अधिकारियों ने यह रुख अपनाया कि बैंक खातों को केवल जब्त किया गया (और कुर्क नहीं किया गया था) और इस तरह PC Act की धारा 18ए लागू नहीं होती।

    हाईकोर्ट ने रतन बाबूलाल लाठ बनाम कर्नाटक राज्य के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि PC Act की धारा 18ए में यह परिकल्पना की गई कि अधिनियम के तहत अपराध के माध्यम से अर्जित धन या संपत्ति की कुर्की, कुर्क संपत्ति का प्रशासन, कुर्की के आदेश का निष्पादन और जब्ती धारा 18ए द्वारा शासित होगी।

    चूंकि प्रतिवादी के बैंक अकाउंट CrPC की धारा 102 के तहत फ्रीज किए गए, इसलिए उसने विवादित आदेश खारिज कर दिया और उक्त अकाउंट्स को डी-फ्रीज करने का निर्देश दिया।

    हाईकोर्ट ने कहा,

    "चूंकि याचिकाकर्ता के बैंक अकाउंट विपरीत पक्ष द्वारा धारा 102 के तहत फ्रीज किए गए, न कि एक्ट की धारा 18ए के तहत प्रक्रिया के तहत, इसलिए उक्त फ्रीजिंग बरकरार नहीं रखा जा सकती।"

    उल्लेखनीय है कि PC Act के तहत दर्ज आपराधिक मामले में बैंक अकाउंट को जब्त करने और फ्रीज करने में धारा 102 CrPC की प्रयोज्यता के संबंध में मद्रास हाईकोर्ट और पटना हाईकोर्ट द्वारा अलग-अलग विचार लिए गए। मद्रास हाईकोर्ट ने इस तरह के आवेदन के पक्ष में फैसला सुनाया, वहीं पटना हाईकोर्ट ने माना कि इस तरह की जब्ती और फ्रीजिंग केवल PC Act की धारा 18ए के तहत की जा सकती है।

    केस टाइटल: पश्चिम बंगाल राज्य बनाम अनिल कुमार डे सरकार, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 1003/2025

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