क्या अयोग्य व्यक्ति मध्यस्थ की नियुक्ति कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली क्योंकि केंद्र मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में सुधार पर विचार कर रहा है

Avanish Pathak

12 July 2023 10:59 AM GMT

  • क्या अयोग्य व्यक्ति मध्यस्थ की नियुक्ति कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली क्योंकि केंद्र मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में सुधार पर विचार कर रहा है

    सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने बुधवार को एक संदर्भ की सुनवाई दो महीने के लिए टालने का फैसला किया, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया है कि क्या कोई व्यक्ति, जो मध्यस्थ के रूप में नियुक्त होने के लिए अयोग्य है, मध्यस्थ नियुक्त कर सकता है।

    यह मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।

    शुरुआत में, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने मामले में मोहलत की मांग करते हुए कहा- "जब तक समिति अपनी रिपोर्ट नहीं दे देती, तब तक मामले को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है। यह एक परामर्श प्रक्रिया है।"

    सीनियर एडवोकेट फली सैम नरीमन ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की और कहा- "यह बेहतर होगा क्योंकि सरकार का संदर्भ वास्तव में एक नए कानून को लागू करने पर है। ऐसा लगता है कि यह सरकार का ज्ञापन है। इसलिए हमें नहीं पता कि नया कानून बनाया जाएगा या नहीं।"

    वे सोलह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का जिक्र कर रहे थे, जिसका गठन 14 जून, 2023 को कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा किया गया है। समिति की अध्यक्षता कानूनी मामलों के विभाग के पूर्व सचिव डॉ. टीके विश्वनाथन कर रहे हैं, ‌उसे भारत में मध्यस्थता कानून के कामकाज की जांच करने और मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 में सुधारों की सिफारिश करने के लिए बनाया गया है। यह कदम पार्टियों द्वारा अदालतों में जाकर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग को सीमित करने के लिए उठाया गया था।

    मोहलत के अनुरोध पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- "हम सुनवाई टाल सकते हैं। लेकिन समयसीमा क्या है?"

    एजी ने जवाब दिया- "समिति को दो महीने से अधिक समय नहीं लेना चाहिए और मैं भी प्रक्रिया में तेजी लाने का प्रयास करूंगा। विचार-विमर्श होते ही हम अदालत को एक रिपोर्ट देंगे।"

    इसके बाद सुप्रीम कोर्ट मामले को दो महीने के लिए टालने पर सहमत हो गया।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश सुनाते हुए कहा-

    "हमें सूचित किया गया है कि केंद्र सरकार ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 के प्रावधानों पर विचार करने के लिए व्यापक छूट के साथ एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। अटॉर्नी जनरल का कहना है कि जो मुद्दे संविधान पीठ के समक्ष उठाए गए हैं वे भी सम‌िति के दायरे में आएंगे।

    समिति की रिपोर्ट के बाद, सरकार इस पर विचार करेगी कि क्या कानून में संशोधन की आवश्यकता है।

    श्री फली एस नरीमन भी इसमें शामिल हो गए हैं और दूसरे पक्ष के समान ही प्रस्तुत किए हैं। इसलिए, वर्तमान में हम निर्देश देते हैं कि संविधान पीठ के समक्ष दो संदर्भों को दो महीने की अवधि के लिए टाल दिया जाए। अदालत को अगली तारीख पर समिति के गठन के बाद हुई प्रगति से अवगत कराया जाएगा। सूची 13 सितंबर, 2023 को दी जाएगी।''

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