बॉम्बे हाईकोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को NDPS मामले में जमानत दी

LiveLaw News Network

7 Oct 2020 5:50 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को NDPS मामले में जमानत दी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती, सैमुअल मिरांडा और दीपेश सावंत को जमानत दे दी है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने इन सभी के खिलाफ केस पंजीकृत किया था, जिसमें आरोप था कि इन्होंने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को ड्रग्स खरीदने में मदद की थी।

    हालांकि, पीठ ने रिया के भाई शोविक चक्रवर्ती और अब्देल बसिथ परिहार की जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस सारंग वी कोतवाल की एकल पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद 29 सितंबर को जमानत के आदेशों को सुरक्षित रख लिया था।

    आरोपियों के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 की धारा 8 (सी), 20 (बी) (ii), 22, 27 ए, 28, 29 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

    उल्लेखनीय है कि रिया सुशांत की मित्र थी, जबकि मिरांडा और सावंत उनके घर में काम करते थे।

    अभियुक्तों की ओर से वकीलों, एडवोकेट तारक सईद (परिहार के लिए), सतीश मानशिन्दे (रिया और शोविक के लिए), सुबोध देसाई (मिरांडा के लिए) और राजेंद्र राठौड़ (सावंत के लिए) के मुख्य तर्क इस प्रकार थे-

    -आरोपियों के पास से ड्रग बरामद नहीं हुआ है।

    -एनसीबी के पास कोई ऐसे मामला नहीं है कि आरोपी ड्रग्स का सेवन करते हैं।

    -धारा 37 (1) एनडीपीएस एक्ट के तहत जमानत नहीं देने का प्रावधान मौजूदा मामले में लागू नहीं होता है क्योंकि अपराध कम मात्रा से संबंधित हैं।

    -एनसीबी ने धारा 27 ए के तहत 'अवैध व्यापार का वित्तपोषण' और 'अपराधी को शरण देने' के अपराध का गलत आरोप लगाया है। आरोपी केवल सुशांत के निर्देशों का पालन कर रहे थे, और मौजूदा मामले के मुता‌बिक, उनके लिए कुछ ग्राम गांजा खरीदा गया था। इसलिए यदि सुशांत, जिसे लाभ हुआ, केवल छोटी मात्रा से संबंधित अपराध के लिए दंडनीय है, तो आरोपी को ऊंची सजा नहीं दी जा सकती (धारा 27A में न्यूनतम 10 साल कैद की सजा है। नशीली दवाओं का सेवन पर न्यूनतम 6 महीने की कैद या अधिकतम एक साल की कैद की सजा का प्रावधान है। यहां तक ​​कि आरोपी यदि धारा 64 ए के तहत पुनर्वास का इच्छुक है तो सजा से बचा जा सकता है)।

    -आरोपी पर 'अपराधी को शरण' देने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि सुशांत अपने घर में ही था और आरोपी उसके साथ ही रह रहे थे।

    एनसीबी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि एनडीपीएस अपराधों की पुष्टि के लिए वर्जित की वसूली हमेशा आवश्यक नहीं थी। उन्होंने तर्क दिया कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की ड्रग्स सेवन की आदत को छिपाता है, तो वह 'अपराधी को शरण देने' के बराबर होगा।

    उन्होंने आगे कहा कि न्यायालय को एनडीपीएस एक्ट के उद्देश्यों पर ध्यान देना होगा, जो कि देश के युवाओं को ड्रग्स के खतरे से बचाने के लिए हैं। नशीली दवाओं के अपराध हत्या से भी बदतर हैं, क्योंकि वे पूरे समाज को प्रभावित करते हैं

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