नदी में फेंके जा रहे शवों को दिखाने पर चैनल के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज हुआ? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कटाक्ष किया

LiveLaw News Network

31 May 2021 2:00 PM GMT

  • नदी में फेंके जा रहे शवों को दिखाने पर चैनल के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज हुआ? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कटाक्ष किया

    मीडिया के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर कटाक्ष करते हुए, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या किसी समाचार चैनल के खिलाफ नदी में फेंके गए शव को दिखाने के लिए कोई देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है?

    यह चुटकी स्वत संज्ञान COVID19 मामले की सुनवाई के दौरान उस समय ली गई, जब एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा प्रस्तुत कर रही थी कि शवों के सम्मानजनक दाह-संस्कार के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाने चाहिए।

    न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने तब कहा कि उन्होंने एक समाचार चैनल की रिपोर्ट देखी थी,जिसमें कोरोना से प्रभावित रोगियों के शवों को एक नदी में फेंके जाने के बारे में बताया गया था।

    इस बयान के बाद, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की, ''मुझे नहीं पता कि समाचार चैनल के खिलाफ यह दिखाने के लिए राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है या नहीं।''

    स्वत संज्ञान मामले के ठीक बाद, सुप्रीम कोर्ट ने दो तेलगू समाचार चैनल- टीवी 5 और एबीएन आंध्र ज्योति की तरफ से दायर याचिकाओं पर विचार किया। आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया है। उसी के खिलाफ यह याचिकाएं दायर की गई हैं।

    इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देशद्रोह पर उनकी टिप्पणी इस मामले के संदर्भ में थी।

    न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से कहा, ''पिछली सुनवाई में जब मैंने वह साइड टिप्पणी की थी, तो यह मामला मेरे दिमाग में था।''

    सॉलिसिटर जनरल ने तब याद दिलाया कि उन्होंने उस समय पीठ का समर्थन किया था,जब 30 अप्रैल को आदेश दिया गया था कि महामारी के दौरान सोशल मीडिया पर नागरिकों के एसओएस कॉल पर पुलिस की सख्ती के खिलाफ अवमानना के मामले शुरू किए जाने चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट ने दोनों चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर रोक लगा दी है और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ''यह समय है कि हम देशद्रोह की सीमा को परिभाषित करें।'' कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (देशद्रोह) और 153ए (सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देना) के तहत अपराधों के दायरे को परिभाषित करने की जरूरत है, खासकर मीडिया की आजादी के संदर्भ में।

    Next Story