न्याय वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस महत्वपूर्ण, लेकिन फिलहाल इस पर कोई सहमति नहीं: कानून मंत्रालय
Shahadat
8 Dec 2023 11:16 AM IST
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (All India Judicial Service) स्थापित करने की सरकार की योजना पर राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए कानून मंत्रालय ने जवाब दिया कि फिलहाल प्रस्ताव पर हितधारकों के बीच कोई सहमति नहीं है।
हालांकि, जवाब में यह भी कहा गया,
"सरकार के विचार में समग्र न्याय वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए उचित रूप से तैयार की गई ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस महत्वपूर्ण है।"
उत्तर में कहा गया कि इससे उचित अखिल भारतीय योग्यता चयन प्रणाली के माध्यम से चयनित उपयुक्त योग्य नई कानूनी प्रतिभा को शामिल करने का अवसर मिलेगा और समाज के हाशिए पर और वंचित वर्गों को उपयुक्त प्रतिनिधित्व सक्षम करके सामाजिक समावेशन के मुद्दे का समाधान होगा।
कानून मंत्रालय ने यह भी कहा कि प्रस्ताव को अप्रैल, 2013 में आयोजित मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के सम्मेलन में एजेंडा आइटम के रूप में शामिल किया गया था और यह निर्णय लिया गया कि इस मुद्दे पर आगे विचार-विमर्श और विचार की आवश्यकता है। राज्य के विचार प्रस्ताव पर सरकारों और हाईकोर्ट से जानकारी मांगी गई।
हालांकि, उत्तर ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस के गठन पर राज्य सरकारों और हाईकोर्ट के बीच मतभेद दर्शाता है।
उत्तर में कहा गया,
"हालांकि कुछ राज्य सरकारों और हाईकोर्ट ने प्रस्ताव का समर्थन किया, कुछ अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के निर्माण के पक्ष में नहीं हैं, जबकि कुछ अन्य केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में बदलाव चाहते हैं।"
उत्तर में यह भी कहा गया कि इस प्रस्ताव को चीफ जस्टिस के सम्मेलन (03 और 04 अप्रैल 2015 को आयोजित), मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के संयुक्त सम्मेलन (05 अप्रैल 2015 को आयोजित) के एजेंडे में भी शामिल किया गया था। संसदीय सलाहकार समिति (मार्च 2017 में) और मुख्यमंत्रियों और सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के संयुक्त सम्मेलन (30 अप्रैल 2022 को आयोजित) में हालांकि, इसे सम्मेलन के एजेंडे में शामिल नहीं किया जा सका।
हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संविधान दिवस संबोधन में ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस के समर्थन में बात की थी।
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