कलकत्ता हाईकोर्ट ने दुर्गा पूजा पंडाल में कथित तौर पर 'सत्ता-विरोधी' नारे लगाने के आरोप में हिरासत में लिए गए नौ लोगों को जमानत दी
Shahadat
12 Oct 2024 1:01 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने नौ युवकों को जमानत दी, जिन्हें कोलकाता के रवींद्र सरोवर इलाके में दुर्गा पूजा पंडाल के बाहर कथित तौर पर सत्ता-विरोधी नारे लगाने और तख्तियां लहराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
जस्टिस शंपा सरकार की एकल पीठ ने हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों को रिहा करते हुए उन्हें शहर भर में किसी भी पूजा पंडाल के 200 मीटर के भीतर अशांति पैदा न करने या नारे न लगाने का निर्देश दिया।
बेंच ने कहा,
जब्ती सूची से पता चलता है कि तख्तियां और तोरण बरामद किए गए। ये सभी आर जी कर से संबंधित नारे हैं। कोई भी नारा न तो घृणास्पद है और न ही धर्म-विरोधी। कोई व्यक्तिगत हमला नहीं किया गया। यहां तक कि आम जनता जो किसी संगठित राजनीतिक समूह का हिस्सा नहीं थी, ने भी इसी तरह के नारे लगाते हुए प्रदर्शन और रैलियां की थीं। इस प्रकार, मेरी पहली नजर में हिरासत में लिए गए लोगों का इरादा नफरत और डर पैदा करना नहीं था। किसी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था। उन्होंने सत्ता-व्यवस्था के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस तरह का विरोध लंबे समय से चल रहा है। नारे लगाना किसी भी राजनीतिक समूह द्वारा किए जाने वाले किसी भी विरोध का अभिन्न अंग है। इस तरह की प्रथा लोकतंत्र की भावना में निहित है। ये राज्य विरोधी गतिविधियाँ नहीं हैं।
पुलिस द्वारा पूजा पंडाल के पास प्रदर्शन करने के लिए कथित तौर पर मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए नौ स्टूडेंट के सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया गया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि आपराधिक कानून के बल का उपयोग करने के लिए राज्य के साधनों का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया, आरोपी व्यक्तियों को गलत तरीके से हिरासत में लेने के लिए राज्य मशीनरी को कार्रवाई में लगाया गया। प्रथम दृष्टया उठाए गए कदम आरोपों के अनुपात में नहीं लगते हैं।
आरोपी स्टूडेंट हैं। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। वे किसी भी तरह से समाज के लिए जोखिम या खतरा नहीं हैं। एफआईआर में यह खुलासा नहीं किया गया कि उनके आचरण में गंभीर आपराधिक गतिविधि दिखाई देती है। पुलिस अधिकारियों को किसी व्यक्ति को केवल इसलिए गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि उन्हें ऐसा करने का अधिकार है। न्यायालय ने कहा कि ऐसी कार्रवाई के लिए कोई आधार या बुनियाद होनी चाहिए।
यह देखा गया कि आरोपी राजनीतिक समूह के सदस्य थे, लेकिन उनके द्वारा लगाए गए नारे या उनके द्वारा पकड़े गए तख्तियों से उन धाराओं के अनुसार किसी अपराध का संकेत नहीं मिलता, जिसके तहत उन पर मामला दर्ज किया गया।
तदनुसार, न्यायालय ने अंतरिम राहत की याचिका स्वीकार कर ली और उन्हें जमानत दी।
केस टाइटल: बबलू कर एवं अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य।