'लंबे समय तक जेल में रहने से विचाराधीन कैदियों का मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है, नशीली दवाओं का सेवन बढ़ सकता है': बॉम्बे हाईकोर्ट ने 9 साल से अधिक समय से जेल में बंद हत्या के आरोपी को जमानत दी
Avanish Pathak
17 Feb 2025 12:54 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार (14 फरवरी) को जेल में नौ साल से अधिक समय बिताने वाले एक व्यक्ति को जमानत देते हुए, किसी व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक कारावास के कारण होने वाले दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभावों पर जोर दिया।
जस्टिस मिलिंद जाधव ने कहा कि आवेदक गणेश मेंडारकर ने हत्या के आरोप में नौ साल और पच्चीस दिन जेल में बिताए, जबकि मामले में सह-आरोपी पहले से ही जमानत पर बाहर थे।
जस्टिस माधव ने आदेश में कहा,
"लंबे समय तक कारावास के दौरान कारावास-पश्चात सिंड्रोम की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसमें अवसाद, चिंता और आत्म-सम्मान में कमी जैसी परेशानियां शामिल हो सकती हैं। यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग जैसे अस्वास्थ्यकर व्यवहार को बढ़ावा दे सकता है। कैदियों को सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है, जो परिवार और दोस्तों के साथ संबंधों को खराब कर सकता है। कैद किए गए व्यक्ति अक्सर दर्द, अभाव और दूसरों के साथ रहने और बातचीत करने के बेहद असामान्य पैटर्न और मानदंडों के अधीन होने के कारण दीर्घकालिक परिणाम भुगतते हैं। प्रथम दृष्टया कारावास के बजाय लंबी अवधि तक कारावास के दरिमयान विचाराधीन अभियुक्तों को कारवासीय वातावरण का सामना करना पड़ता है, जो जेलों में भयावह स्थितियों के साथ-साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्वाभाविक रूप से हानिकारक हो सकता है।
कोर्ट ने कहा कि शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि कारावास से कारावास पश्चात सिंड्रोम हो सकता है, जो PTSD जैसा ही एक सिंड्रोम है। इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने 50,000 रुपये के मुचलके पर मेंडारकर को जमानत दे दी। ऐसा करते हुए, न्यायालय ने ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसायटी के रिसर्च डाइजेस्ट के संपादक डॉ क्रिस्टियन जेरेट द्वारा लिखे गए लेख "कैसे जेल लोगों को बदलते हैं " का भी हवाला दिया, जो 2018 में बीबीसी पर प्रकाशित हुआ था।
जस्टिस जाधव ने कहा,
"दिन-ब-दिन, साल-दर-साल, कल्पना करें कि आपके पास अपना कोई घर नहीं है, किसके साथ रहना है, क्या खाना है या कहां जाना है, इस बारे में कोई विकल्प नहीं है। हर जगह खतरा और संदेह है। प्यार या यहां तक कि एक सौम्य मानवीय स्पर्श भी मिलना मुश्किल हो सकता है। आप परिवार और दोस्तों से अलग हो जाते हैं...यह तब और भी अधिक स्पष्ट हो जाता है जब न्यायालय के समक्ष एक विचाराधीन आरोपी का 9 साल से अधिक समय से लंबित मुकदमे के लिए कारावास में रहने का मामला आता है। वर्तमान मामला ऐसा ही एक मामला है।"
हत्या के मामले में आरोपी मेंडारकर वर्तमान में 51 वर्ष का है और वह 20 जनवरी, 2016 से यानी 9 साल और 25 दिनों से हिरासत में है।
कोर्ट ने कहा, "अपराध में चार आरोपी हैं और अन्य तीन आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। 2018 में मुकदमा शुरू हुआ है। अभियोजन पक्ष द्वारा दायर गवाहों की सूची के अनुसार, 36 गवाह हैं, जिनमें से मुखबिर और तीन पंच गवाहों की गवाह कार्रवाई पूरी हो चुकी है।"
केस टाइटलः गणेश मेंडारकर बनाम महाराष्ट्र राज्य (जमानत आवेदन 597/2025)
साइटेशन: 2025 लाइव लॉ (बॉम्बे) 65

