घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पति से निर्माणाधीन फ्लैट के लिए किश्तें भरने को नहीं कहा जा सकता, न ही इसे 'साझा घर' कहा जा सकता है: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

8 July 2025 5:13 AM

  • घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पति से निर्माणाधीन फ्लैट के लिए किश्तें भरने को नहीं कहा जा सकता, न ही इसे साझा घर कहा जा सकता है: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बंबई हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि निर्माणाधीन फ्लैट, भले ही पति-पत्नी के नाम पर संयुक्त रूप से रजिस्टर्ड हो, उसे घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम (PwDV) 2005 के तहत 'साझा घर' नहीं कहा जा सकता। इसलिए पति को ऐसे फ्लैट की किश्तें भरने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।

    जस्टिस मंजूषा देशपांडे ने कहा कि विचाराधीन फ्लैट अभी भी निर्माणाधीन है और दंपति अभी तक उसमें नहीं रह रहे हैं।

    हाईकोर्ट ने 4 जुलाई के अपने आदेश में कहा,

    "वर्तमान मामले में कथित 'साझा घर' का कब्ज़ा अभी तक नहीं सौंपा गया, किश्तों का भुगतान अभी भी पूरी तरह से नहीं किया गया। ऐसी परिस्थितियों में पति को शेष किश्तों का भुगतान करने या नियोक्ता को उसके वेतन से किश्तों की कटौती करके बैंक को भुगतान करने का निर्देश देना बहुत दूर की बात होगी। कोई भी पक्ष उक्त परिसर में नहीं रह रहा है, वे कभी भी उस फ्लैट/घर में नहीं रहे हैं, न ही वे रहने का इरादा रखते हैं। इसके अलावा, इस तथ्य की पृष्ठभूमि में कि पति ने 2020 में ही पत्नी के खिलाफ तलाक की कार्यवाही शुरू कर दी।"

    जज ने कहा कि PwDV Act सामाजिक कल्याण कानून है, जिसका उद्देश्य परिवार के भीतर होने वाली घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार के पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान करना है। प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि पीड़ितों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाए। साथ ही उनके "साझा घर" से बेदखल होने से भी सुरक्षा प्रदान की जाए, जहां पीड़ित रह रहा है, पीड़ित वैकल्पिक आवास की मांग भी कर सकता है, या वैकल्पिक आवास का किराया देने का निर्देश दे सकता है।

    जस्टिस देशपांडे ने कहा,

    "पीड़ित के निवास का अधिकार DV Act की धारा 19 के अंतर्गत आता है, लेकिन याचिकाकर्ता पत्नी द्वारा जिस तरह की राहत का दावा किया गया, वह दुर्भाग्य से DV Act की धारा 19 के अंतर्गत प्रदान की गई किसी भी राहत के अंतर्गत नहीं आती। पत्नी द्वारा की गई प्रार्थना स्वीकार्य नहीं होगी, क्योंकि संपत्ति/फ्लैट अभी भी निर्माणाधीन है। किसी भी पक्ष के कब्जे में नहीं है, इसलिए यह DV Act की धारा 2(एस) के तहत परिभाषित 'साझा घर' के दायरे में नहीं आएगा। इसलिए मुझे सेशन जज द्वारा पारित 19 अक्टूबर, 2024 के आदेश में दर्ज निष्कर्षों में कोई विकृति नहीं दिखती।"

    पीठ एक पत्नी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मजिस्ट्रेट और सेशन कोर्ट के आदेशों को चुनौती दी गई, दोनों ने पति को उपनगरीय मलाड में निर्माणाधीन फ्लैट के लिए किश्तों का भुगतान करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया, जिसके बारे में पत्नी ने दावा किया कि वह 'साझा घर' है। पति ने तर्क दिया कि विचाराधीन फ्लैट को 'साझा घर' नहीं कहा जा सकता, क्योंकि दंपति एक भी दिन उक्त फ्लैट में नहीं रहे।

    अदालत ने पति की दलको स्वीकार की और पत्नी की याचिका खारिज कर दी।

    Case Title: Srinwati Mukherji vs State of Maharashtra (Writ Petition 424 of 2025)

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