Bhima-Koregaon Elgar Parishad मामले में रोना विल्सन और सुधीर धावले को मिली जमानत
Shahadat
8 Jan 2025 5:42 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव एल्गर परिषद मामले में रोना विल्सन और सुधीर धावले को जमानत दी। रिसर्चर रोना विल्सन और एक्टिविस्ट सुधीर धावले को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (8 जनवरी) को उन्हें भीमा-कोरेगांव एल्गर परिषद मामले में जमानत दी।
जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस कमल खता की खंडपीठ ने इस तथ्य पर विचार किया कि दोनों ने विचाराधीन कैदियों के रूप में 6 साल से अधिक समय जेल में बिताया है।
खंडपीठ ने विल्सन और धावले दोनों को जमानत देते हुए कहा,
"वे 2018 से जेल में हैं, यहां तक कि मामले में आरोप भी तय नहीं किए गए हैं। अभियोजन पक्ष ने 300 से अधिक गवाहों का हवाला दिया। इस प्रकार निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है।"
इन तथ्यों पर विचार करने से पहले जजों ने अभियोजन पक्ष को स्पष्ट कर दिया कि यदि वह मामले की गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करेगा तो वह कुछ टिप्पणियां करेगा।
हालांकि, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास ने विशेष अभियोजक संदेश पाटिल और एडवोकेट चिंतन शाह की सहायता से खंडपीठ से कोई भी टिप्पणी न करने का आग्रह किया। इसलिए जजों ने भारत संघ बनाम केए नजीब के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया और उन्हें जमानत दी।
खंडपीठ ने दोनों आरोपियों को साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न करने, विशेष अदालत की अनुमति के बिना मुंबई नहीं छोड़ने, पासपोर्ट जमा करने और अभियोजन पक्ष को मोबाइल नंबर उपलब्ध कराने तथा मुंबई में एनआईए मुख्यालय में प्रत्येक सोमवार को उपस्थिति दर्ज कराने जैसी सामान्य शर्तों के साथ एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी है।
उल्लेखनीय है कि विल्सन और धावले उन 16 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और तर्कवादियों में शामिल हैं, जिन पर भीमा-कोरेगांव एल्गर परिषद मामले में मामला दर्ज किया गया। उन पर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) से संबंध रखने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप है।