बॉम्बे हाईकोर्ट ने मतदान केंद्रों में मोबाइल फोन ले जाने पर रोक लगाने वाले ECI के निर्देश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की

Shahadat

19 Nov 2024 10:05 AM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने मतदान केंद्रों में मोबाइल फोन ले जाने पर रोक लगाने वाले ECI के निर्देश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने मतदान केंद्रों में मतदाताओं को मोबाइल फोन ले जाने पर रोक लगाने वाले चुनाव आयोग (ECI) के निर्देशों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) में राहत देने से इनकार किया।

    जनहित याचिका उजाला श्यामबिहारी यादव नामक व्यक्ति ने दायर की, जिन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के 'सक्रिय सदस्य' होने का दावा किया। याचिकाकर्ता ने 10 जून 2023 की ECI की अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसमें मतदान केंद्रों के 100 मीटर के भीतर मतदाताओं द्वारा सेल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई।

    चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मतदाताओं को 'डिजिलॉकर' के माध्यम से पहचान का प्रमाण दिखाने के लिए मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। याचिकाकर्ता ने सूचना प्रौद्योगिकी (डिजिटल लॉकर सुविधाएं प्रदान करने वाले बिचौलियों द्वारा सूचना का संरक्षण और प्रतिधारण) संशोधन नियम, 2017 के नियम 9ए का हवाला दिया, जिसमें प्रावधान है कि डिजिटल लॉकर के माध्यम से उपलब्ध दस्तावेजों को मूल भौतिक दस्तावेजों के बराबर माना जाना चाहिए।

    वकील ने आगे तर्क दिया कि मोबाइल फोन की अनुमति न देना कागज रहित शासन में बाधा है। उन्होंने 22 जनवरी, 2018 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर का हवाला दिया। उक्त सर्कुलर में कहा गया कि राज्य सरकार के विभाग दस्तावेजों के जारीकर्ता, अनुरोधकर्ता या सत्यापनकर्ता के रूप में डिगलॉकर का उपयोग कर सकते हैं।

    हालांकि, चुनाव आयोग के वकील ने तर्क दिया कि मतदान केंद्रों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने से सुचारू और हिंसा मुक्त चुनाव सुनिश्चित होते हैं। वकील ने तर्क दिया कि मोबाइल फोन में उपलब्ध तकनीक इसके दुरुपयोग की आशंका पैदा करती है। इसलिए किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी की।

    चुनाव आयोग के वकील ने संविधान के अनुच्छेद 324 पर भरोसा किया, जो चुनाव आयोग को चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार देता है। यह तर्क दिया गया कि चुनाव आयोग के पास शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए निर्देश जारी करने की पूर्ण शक्तियां हैं। मोबाइल फोन पर प्रतिबंध मतदाताओं के किसी भी कानूनी अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है।

    न्यायालय चुनाव आयोग के वकील से सहमत था कि संविधान का अनुच्छेद 324 आयोग को चुनावों के अधीक्षण और नियंत्रण का अधिकार देता है।

    न्यायालय ने पाया कि आईटी नियम 2017 के नियम 9ए याचिकाकर्ता या किसी अन्य को मतदान प्रक्रिया के दौरान पहचान सत्यापित करने के लिए डिजिलॉकर का उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं देते हैं।

    याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय से अनुरोध किया कि मतदान केंद्रों पर पहचान के साधन के रूप में डिजिलॉकर का उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, जो लोग भौतिक पहचान पत्र नहीं ले जा सकते हैं। हालांकि, न्यायालय ऐसा करने के लिए इच्छुक नहीं था।

    चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि चुनाव बोझिल प्रक्रिया है। मतदान केंद्रों में मोबाइल फोन की अनुमति देना संभावित जोखिम पैदा कर सकता है।

    चीफ जस्टिस ने कहा,

    "चुनाव कराने की प्रक्रिया कितनी बोझिल है। यह कहना कि डिजिलॉकर की अनुमति दी जानी चाहिए, हानिरहित लगता है, लेकिन संभावित दुरुपयोग को देखें। देश के लिए चुनावी हिंसा को रोकना बहुत मुश्किल रहा है। यह केवल भारतीय चुनाव आयोग के सशक्तीकरण के कारण है कि आप देख रहे हैं कि अब चुनाव हो रहे हैं।"

    कुल मिलाकर प्रस्तुतियों पर विचार करते हुए न्यायालय ने याचिका खारिज की।

    केस टाइटल: उजाला श्यामबिहारी यादव बनाम भारत निर्वाचन आयोग (पीआईएल(एल)/33837/2024)

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