उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून के डीएम से मस्जिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर वादी की शिकायत का समाधान करने को कहा

Update: 2024-09-18 08:24 GMT

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अवमानना ​​याचिका का निपटारा करते हुए देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट से शहर की मस्जिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर वादी द्वारा उठाई गई चिंताओं पर गौर करने को कहा। अगर वह कोई अभ्यावेदन दायर करता है- जिसके बारे में उसने दावा किया है कि यह कथित तौर पर उस क्षेत्र के लिए निर्दिष्ट परिवेशीय शोर मानकों से अधिक है।

जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ जिला प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट के 31 मार्च 2023 के आदेश का पालन करने में निष्क्रियता के खिलाफ याचिकाकर्ता पान सिंह रावत द्वारा दायर दीवानी अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अधिकारियों को 10 अगस्त, 2020 के आदेश (एक अलग जनहित याचिका में पारित) के अनुसार याचिकाकर्ता की शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया गया।

हाईकोर्ट ने अपने मार्च 2023 के आदेश में अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे "दिन के अलग-अलग समय पर कम से कम 10 मौकों पर मस्जिद की औचक जांच करें और वहां से निकलने वाली ध्वनि और डेसिबल स्तर को रिकॉर्ड करें। औचक जांच के निष्कर्षों को उनके जवाब के साथ रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया गया।

याचिकाकर्ता ने 2015 की जनहित याचिका में समन्वय एकल न्यायाधीश पीठ के 10 अगस्त 2020 के निर्णय का भी हवाला दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया,

"मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों में धार्मिक निकायों सहित किसी भी व्यक्ति द्वारा दिन के समय भी प्राधिकरण की लिखित अनुमति के बिना लाउडस्पीकर या सार्वजनिक-संबोधन प्रणाली का उपयोग नहीं किया जाएगा, वह भी वचनबद्धता प्राप्त करके कि शोर का स्तर उस क्षेत्र के लिए निर्दिष्ट परिवेशीय शोर मानकों से 5dB(A) परिधीय शोर स्तर से अधिक नहीं होगा, जिसमें इसका उपयोग निजी स्थान की सीमाओं पर किया जाता है।”

यह दावा करते हुए कि अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह अदालत के आदेशों की अवमानना ​​है।

मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 9 सितंबर को अपने आदेश में कहा,

"इस मामले में आगे बढ़ने से पहले यह न्यायालय सोचता है कि यदि याचिकाकर्ता को जिला मजिस्ट्रेट के पास जाने की अनुमति दी जाती है तो न्याय की प्राप्ति होगी, जो कानून के अनुसार मामले को देखेंगे।"

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता अपने अभिवेदन में जिला मजिस्ट्रेट का ध्यान 2015 की जनहित याचिका में पारित न्यायालय के पिछले आदेशों के साथ-साथ 2023 की याचिका पर भी आकर्षित करेगा, जिसमें न्यायालय ने पिछले वर्ष मार्च में आदेश पारित किया था।

यदि याचिकाकर्ता आज से दस दिनों के भीतर अभिवेदन करता है तो जिला मजिस्ट्रेट, देहरादून मामले को देखेंगे और उसके बाद चार महीने के भीतर कानून के अनुसार निर्णय लेंगे।

अदालत ने कहा,

"यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस फैसले से प्रभावित होने वाले लोगों की भी सुनवाई की जाएगी।"

इसके बाद अदालत ने अवमानना ​​याचिका का निपटारा कर दिया।

केस टाइटल- पान सिंह रावत बनाम सोनिका

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