उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल झील के कठोर पानी के कारण नैनीताल निवासियों में पुरानी बीमारी फैलने पर चिंता व्यक्त की
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल झील के कठोर पानी के कारण नैनीताल के निवासियों में पुरानी समस्याओं के फैलने पर चिंता व्यक्त की।
न्यायालय ने राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से परामर्श करने और समस्या का समाधान प्रदान करने को कहा है।
चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने कहा,
“दूसरा मुद्दा जिस पर प्रतिवादी जल संस्थान या पेयजल निगम से परामर्श करेंगे वह यह है कि नैनीताल झील का पानी इतना कठोर है कि यह बच्चों को भी पुरानी समस्याएं पैदा कर रहा है। लोग अपनी किडनी खो रहे हैं और इन समस्याओं का समाधान क्या है।”
इस संबंध में न्यायालय ने एडवोकेट प्रदीप लोहानी को 'एमिक्स क्यूरी' नियुक्त किया, जो नैनीताल झील के कठोर जल के कारण जिला-नैनीताल के निवासियों को होने वाली पुरानी समस्याओं के बारे में न्यायालय की सहायता करेंगे।
यह मुद्दा न्यायालय के समक्ष नैनीताल स्थित होटल की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 1,82,250 रुपए लगाए जाने का विरोध किया था।
अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि उसके होटल का पानी झील में नहीं जा रहा है, बल्कि सीधे नगर पालिका की सीवरेज लाइन में जा रहा है। इसलिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में उस पर कोई लागत नहीं लगाई जा सकती।
अपीलकर्ता ने दावा किया कि सीवेज कनेक्शन की मांग करने वाला आवेदन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष दायर किया गया, जो लंबित है।
अपीलकर्ता का दावा स्वीकार करते हुए न्यायालय ने अपीलकर्ता को मुआवजा राशि के भुगतान से अंतरिम राहत प्रदान की। इस बीच न्यायालय ने अपीलकर्ता को जमा राशि का 10% न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा करने के लिए कहा, जब तक कि अपीलकर्ता के आवेदन पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता यह ध्यान में रखते हुए कि उसके होटल का पानी नगर पालिका द्वारा बिछाई गई सीवरेज लाइन में जा रहा था।
केस टाइटल- होटल कोहिनूर बनाम उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य।