क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ बाल विवाह निषेध अधिनियम पर हावी होगा? सुप्रीम कोर्ट जल्द ही NCPCR की याचिका पर सुनवाई करेगा

Update: 2024-08-06 08:58 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई के लिए सहमति जताई कि क्या बाल विवाह की अनुमति देने वाला मुस्लिम पर्सनल लॉ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 (Prohibition Of Child Marriage Act) पर हावी होगा।

सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के समक्ष दायर याचिका का उल्लेख किया, जिसमें जल्द सुनवाई की मांग की गई।

हालांकि याचिका को आज यानी मंगलवार को अन्यथा सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन इस पर सुनवाई नहीं की गई, क्योंकि पीठ अन्य आंशिक रूप से सुने गए मामले की सुनवाई कर रही थी।

एसजी ने अनुरोध किया कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाए और इसका समाधान किया जाए, क्योंकि विभिन्न हाईकोर्ट विपरीत निर्णय दे रहे हैं।

एसजी ने कहा,

"विभिन्न हाईकोर्ट द्वारा अलग-अलग दृष्टिकोण लिए गए हैं। एक धर्म या दूसरे धर्म में बाल विवाह की अनुमति है या नहीं। हम संवैधानिक सिद्धांतों पर बहस कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा,

"अगर इसे किसी बुधवार या गुरुवार को प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध किया जा सकता है...क्योंकि नए फैसले आ रहे हैं और हम अपीलों की संख्या बढ़ा रहे हैं।"

सीजेआई ने जवाब दिया,

"हमें मामले को तुरंत निपटाना होगा।"

पीठ ने मामले को किसी भी प्रारंभिक तिथि के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।

जावेद बनाम हरियाणा राज्य और अन्य में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि मुस्लिम महिला जो यौवन प्राप्त कर चुकी है, वह वैध विवाह कर सकती है, भले ही वह वयस्कता की आयु 18 वर्ष प्राप्त न की हो।

इसके विपरीत, उसी वर्ष केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि व्यक्तिगत कानून के तहत मुसलमानों के बीच विवाह को POCSO Act के दायरे से बाहर नहीं रखा गया।

NCPCR ने जावेद मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी को NCPCR की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि जावेद बनाम हरियाणा राज्य के फैसले पर किसी अन्य मामले में मिसाल के तौर पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने एक और फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम व्यक्तिगत कानूनों पर प्रभावी होगा।

केस टाइटल: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) बनाम जावेद और अन्य डायरी नंबर 35376-2022

Tags:    

Similar News