आयुर्वेदिक डॉक्टरों की रिटायरमेंट की आयु एलोपैथिक डॉक्टरों के समान क्यों नहीं होनी चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से पूछा

Update: 2024-05-04 06:04 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (3 मई) को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राजस्थान राज्य द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में एलोपैथिक डॉक्टरों के बराबर आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए बढ़ी हुई रिटायरमेंट देने का निर्देश दिया गया था।

न्यायालय का विचार था कि आयुर्वेदिक डॉक्टर समाज में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं, लेकिन सेवानिवृत्त डॉक्टरों को बहाल करने के निर्देश नीतिगत मामलों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

सीजेआई का शुरू में विचार था कि आयुर्वेद और एलोपैथिक डॉक्टरों की सेवा की गुणवत्ता और प्रयासों में कोई अंतर नहीं है, इसलिए ऐसी समानता देना तर्कसंगत होगा।

उन्होंने कहा,

"आज हम आयुर्वेदिक डॉक्टरों को महत्व दे रहे हैं, ऐसा क्यों होना चाहिए कि आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथिक डॉक्टरों के समान उम्र में रिटायर नहीं होते?...आखिरकार वे भी मूल्यवान सेवा कर रहे हैं और उसी स्थिति में हैं।"

राजस्थान राज्य की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि विवादित आदेश के कारण एक हजार से अधिक आयुर्वेदिक डॉक्टर, जो रिटायर हो चुके हैं, उन्हें अब रिटायरमेंट की बढ़ी हुई आयु तक वापस ले लिया जाएगा।

उन्होंने कहा,

"संभावित फैसले को खारिज होने दीजिए। अब कठिनाई यह है कि इसी फैसले के साथ वे पहले ही रिटायर हो चुके हैं, उन्होंने याचिका दायर की है। अब उन्हें 65 वर्ष की आयु तक वापस लिया जाना चाहिए... वहां 1000 से अधिक डॉक्टर हैं, इसलिए वे वापस आएंगे। यह यूनानी, आयुष, सिद्ध, होम्योपैथी, सभी पर लागू होगा।"

सीजेआई ने कहा,

"वास्तव में यह नीति के मुद्दे पर प्रभाव डालता है। हम नोटिस जारी करेंगे।"

राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को एलोपैथिक डॉक्टरों के बराबर आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने की मांग वाली कई रिट याचिकाओं को अनुमति दे दी। न्यायालय ने कहा कि राज्य प्राधिकारियों ने 31.3.2016 से एलोपैथिक डॉक्टरों की रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी। याचिकाकर्ताओं द्वारा यह तर्क दिया गया कि रिटायरमेंट की आयु में इस तरह की चयनात्मक वृद्धि आयुर्वेदिक डॉक्टरों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान राज्य और अन्य बनाम डॉ. महेश चंद शर्मा और अन्य के इसी तरह के मामले में हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ राज्य की चुनौती को खारिज कर दिया था, जिसमें आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथिक डॉक्टरों के बराबर रिटायरमेंट राहत दी गई थी।

हाईकोर्ट ने राज्य प्राधिकारियों को उन आयुर्वेदिक डॉक्टरों को बहाल करने के आदेश पारित करने का निर्देश दिया, जिन्होंने अभी तक 62 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की और समान प्रकृति के पहले के मामलों के अनुरूप बढ़ी हुई रिटायरमेंट भी प्रदान की।

उत्तरदाताओं को इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में आवश्यक आदेश पारित करने की आवश्यकता है। जो लोग 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर रिटायर हो गए हैं, लेकिन 62 वर्ष की आयु पूरी नहीं कर पाए हैं, उन्हें तत्काल सेवा में बहाल किया जाए।

केस टाइटल: राजस्थान राज्य और अन्य बनाम अनिसुर रहमान एसएलपी (सी) नंबर 9563/2024

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