गोद लेने वाली माताओं को मातृत्व लाभ गोद लिए गए बच्चे के 3 महीने से कम उम्र का होने पर ही क्यों मिलता है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा

Update: 2024-11-13 03:32 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 (Maternity Benefit (Amendment) Act) के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसके अनुसार मातृत्व लाभ केवल तभी मिलता है, जब बच्चा 3 महीने से कम उम्र का हो।

जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ एक दत्तक माता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2017 अधिनियम की धारा 5(4) को चुनौती दी गई, जिसके तहत दत्तक माताओं को 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है, बशर्ते कि उनके द्वारा गोद लिया गया शिशु 3 महीने से कम उम्र का हो। याचिकाकर्ता हंसानंदिनी 2017 से दो बच्चों की दत्तक मां हैं।

खंडपीठ ने पूछा कि केवल उन दत्तक माताओं के लिए छुट्टी की शर्त निर्धारित करने का विधायी इरादा क्या था, जिनके शिशु का जन्म 3 महीने से कम उम्र का है।

याचिकाकर्ता ने वर्तमान कानून को मनमाना और अनुच्छेद 19(1)(जी) - पेशे, व्यापार या व्यवसाय करने के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया, क्योंकि यह उन महिलाओं के लिए कानूनी बाधाएं पैदा करता है, जो 3 महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेना चाहती हैं।

याचिकाकर्ता ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि 3 महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने में आने वाली प्रक्रियागत देरी को देखते हुए यह प्रावधान अव्यावहारिक है। उल्लेखनीय रूप से केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) के नियम अपने स्वयं के समय-सीमा प्रदान करते हैं, जो विवादित प्रावधान के पक्ष में नहीं हैं।

परित्यक्त या अनाथ बच्चे के मामले में बाल कल्याण समिति (CWC) को बच्चे की उम्र के आधार पर 2-4 महीने के भीतर उसकी कानूनी उपलब्धता की घोषणा करनी चाहिए।

अपने जैविक माता-पिता द्वारा आत्मसमर्पण किए गए बच्चों को देने पर पुनर्विचार करने के लिए 60 दिनों की अवधि होती है।

मामले की सुनवाई अब 17 दिसंबर को होगी।

केस टाइटल: हमसानंदिनी नंदूरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 000960 - / 2021

Tags:    

Similar News