West Bengal VC Appointments | वीसी पोस्ट के लिए आवेदक को ज्ञात एक्सपर्ट चयन समिति का हिस्सा नहीं होंगे : सुप्रीम कोर्ट
यूनिवर्सिटी में कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति के संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच लंबित विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वीसी पोस्ट के लिए आवेदक को ज्ञात दो एक्सपर्ट उसके आवेदन पर विचार किए जाने पर चयन समिति का हिस्सा नहीं होंगे।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने डॉ. इंद्रजीत लाहिड़ी (36 यूनिवर्सिटी के कुलपति पद के लिए आवेदक) द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर यह आदेश पारित किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि समिति का गठन करने वाले दो एक्सपर्ट उन्हें अच्छी तरह से जानते हैं। इससे पक्षपात का अनुमान लगाया जा सकता है।
जस्टिस कांत ने आदेश इस प्रकार लिखा:
"उन्होंने (आवेदक) उचित रूप से बताया कि दो विशेषज्ञ अर्थात्...उनके करीबी हैं तथा प्रतिवादी नंबर 34 ने भी उनके अधीन काम किया है। उन्होंने बताया कि दूसरों द्वारा पक्षपात की धारणा हो सकती है। यह स्पष्ट किया जाता है कि [दो नामित एक्सपर्ट] डॉ. इंद्रजीत लाहिड़ी की उम्मीदवारी पर विचार करने के समय खोज-सह-चयन समिति में नहीं होंगे"।
खंडपीठ ने आगे दर्ज किया कि स्पष्टीकरण इसलिए दिया जा रहा, क्योंकि डॉ. लाहिड़ी ने स्वयं न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिससे उनकी उम्मीदवारी के विरुद्ध कोई प्रतिकूल निष्कर्ष न निकाला जाए।
जहां तक विज्ञापन में आयु सीमा निर्धारित न करने के मुद्दे का सवाल है, न्यायालय ने कहा कि जुलाई में पारित पूर्व आदेश में इस पर विचार किया गया। हालांकि, यदि कोई अधिक आयु का उम्मीदवार आवेदन करता है तो यूनिवर्सिटी लॉ के अनुसार खोज-सह-चयन समिति द्वारा उस पर विचार किया जाएगा।
संदर्भ के लिए, जुलाई के आदेश में न्यायालय ने कहा था,
"हम पक्षकारों द्वारा दिए गए सुझाव का समर्थन करते हैं कि इन कुलपतियों की सेवानिवृत्ति की आयु, क़ानून के अनुसार, 65 वर्ष होनी चाहिए। शेष यूनिवर्सिटी के लिए कुलपति की रिटायरमेंट की आयु 70 वर्ष होगी।"
संक्षेप में मामला
न्यायालय पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें कलकत्ता हाईकोर्ट के जून 2023 के उस निर्णय को चुनौती दी गई, जिसमें राज्यपाल बोस द्वारा 13 यूनिवर्सिटी में (संस्थानों के कुलाधिपति के रूप में उनकी क्षमता में) की गई अंतरिम कुलपति नियुक्तियों को बरकरार रखा गया था।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) यूयू ललित की अध्यक्षता में 8 जुलाई को यूनिवर्सिटी के लिए खोज-सह-चयन समितियों का गठन किया गया था। पांच सदस्यों वाली समितियों को कुलपति नियुक्तियों के लिए प्रत्येक यूनिवर्सिटी के लिए तीन नामों का एक पैनल तैयार करना था, जो वर्णानुक्रम में हो, न कि योग्यता के क्रम में। प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था।
केस टाइठल: पश्चिम बंगाल राज्य बनाम डॉ. सनत कुमार घोष एवं अन्य | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 17403/2023