निर्धारित समय-सीमा समाप्त होने का हवाला देकर ट्रायल जज मामले पर फैसला सुनाने से इनकार नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ट्रायल कोर्ट को असामान्य आदेश दिया, जिसमें उसने केवल इसलिए अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से परहेज किया, क्योंकि ट्रायल कोर्ट ने कार्यवाही निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं किया।
अदालत ने कहा,
"हमें जज द्वारा पारित आदेश के तरीके पर दुख है। यदि किसी कारणवश जज इस अदालत द्वारा निर्धारित समय-सीमा के भीतर मामले का निपटारा नहीं कर पाते तो उनके पास उपलब्ध उचित उपाय समय-सीमा बढ़ाने का अनुरोध करना था। हालांकि, वह यह नहीं कह सकते कि उन्होंने मामले पर अधिकार क्षेत्र खो दिया, क्योंकि दी गई समय-सीमा बीत चुकी है।"
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की खंडपीठ ने एक आपराधिक अपील में दायर विविध आवेदन पर सुनवाई की, जिसमें अदालत ने दिनांक 18.01.2024 के अपने आदेश द्वारा न्यायिक मजिस्ट्रेट, फॉर्थ कोर्ट, अलीपुर, दक्षिण 24 परगना को छह सप्ताह के भीतर AC-2053/2017 का निपटारा करने का निर्देश दिया था।
चूंकि ट्रायल कोर्ट के जज सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर उक्त मामले का निपटारा करने में असमर्थ हैं, इसलिए दिनांक 19.03.2024 को आदेश पारित किया गया कि चूंकि वह निर्धारित समय-सीमा के भीतर मामले का निपटारा करने में असमर्थ हैं, इसलिए इस मामले पर उनका अधिकार क्षेत्र समाप्त हो गया।
यह देखते हुए कि ट्रायल कोर्ट के जज का कृत्य असामान्य था, अदालत ने संबंधित जिला जज को संबंधित जज से स्पष्टीकरण मांगने और एक महीने के भीतर इस अदालत को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
अदालत ने निर्देश दिया,
"उन्हें यह बताना होगा कि क्यों और किन परिस्थितियों में उन्होंने रिपोर्ट दी कि इस मामले पर उनका अधिकार क्षेत्र समाप्त हो गया और वे इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।"
Cause Title: SHIV KUMAR SHAW & ANR. VERSUS REKHA SHAW