RTE Act के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर TET उत्तीर्ण करने वाले शिक्षकों को नियुक्ति के समय योग्यता न होने के कारण बर्खास्त नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-11-08 15:19 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन शिक्षकों ने बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण की है, उन्हें केवल इसलिए बर्खास्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि उनकी प्रारंभिक नियुक्ति के समय उनके पास यह योग्यता नहीं थी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने दो सहायक अध्यापकों, उमा कांत और एक अन्य की अपील स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया। इन सहायक अध्यापकों को 2012 में नियुक्ति के समय TET सर्टिफिकेट न होने के कारण जुलाई 2018 में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए), कानपुर नगर द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था।

मामले की पृष्ठभूमि

अपीलकर्ताओं को 2011 में शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया के तहत कानपुर नगर के एक मान्यता प्राप्त और सहायता प्राप्त संस्थान, ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया। उस समय राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की 23 अगस्त, 2010 की अधिसूचना द्वारा शुरू की गई TET परीक्षा हाल ही में लागू की गई।

उत्तर प्रदेश में पहली TET नवंबर, 2011 में आयोजित की गई। एक अपीलकर्ता ने उसी वर्ष परीक्षा उत्तीर्ण की, जबकि दूसरे ने 2014 में परीक्षा उत्तीर्ण की। 2015 से पहले उनकी योग्यता होने के बावजूद, बीएसए ने नियुक्ति के समय टीईटी प्रमाण पत्र न होने का हवाला देते हुए 2018 में उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं।

सेवा समाप्ति को चुनौती देने वाली उनकी रिट याचिका मार्च, 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दी थी और मई 2024 में एक खंडपीठ ने उस निर्णय की पुष्टि की।

सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्ष

हाईकोर्ट के निर्णयों को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23 में 2017 के संशोधन ने 31 मार्च, 2015 तक अपेक्षित योग्यता प्राप्त न करने वाले शिक्षकों को इसे प्राप्त करने के लिए चार वर्ष, अर्थात 31 मार्च, 2019 तक का समय दिया था।

खंडपीठ ने कहा,

"हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि अपीलकर्ताओं को उनकी सेवा समाप्ति की तिथि, यानी 12 जुलाई 2018 को अयोग्य कैसे कहा जा सकता है, जबकि निर्विवाद रूप से उन्होंने 2014 तक ही TET उत्तीर्ण कर लिया था।"

कोर्ट ने आगे कहा कि सेवा समाप्ति आदेश में कथित TET योग्यता की कमी के अलावा कोई अन्य आधार नहीं बताया गया था।

फैसले में कहा गया,

"TET उत्तीर्ण करने की आवश्यकता 31 मार्च 2019 तक पूरी की जानी थी, जब तक अपीलकर्ताओं ने निर्विवाद रूप से TET उत्तीर्ण कर लिया था।"

न्यायालय ने अपील स्वीकार की और अपीलकर्ताओं को उसी विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर सेवा की निरंतरता और सीनियरिटी सहित परिणामी लाभों के साथ बहाल करने का निर्देश दिया। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वे बकाया वेतन के हकदार नहीं होंगे।

Case : UMA KANT AND ANOTHER VERSUS STATE OF U.P. AND OTHERS

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