यूपी बार काउंसिल के वकीलों के एनरोलमेंट के लिए 14,000 रुपये की मांग प्रथम दृष्टया निर्णय का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने रिट याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश बार काउंसिल वकीलों के एनरोलमेंट के दौरान प्रैक्टिस सर्टिफिकेट के नाम पर 14,000 रुपये वसूल रही है, जो गौरव कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2024) फैसले का उल्लंघन है।
गौरव कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बार काउंसिल्स वकीलों की एनरोलमेंट फीस एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 24 में निर्धारित सीमा से अधिक नहीं ले सकते। धारा 24 के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए एनरोलमेंट फीस 750 रुपये से अधिक नहीं हो सकता, जबकि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए यह सीमा 125 रुपये है।
मामले का उल्लेख जब जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ के समक्ष किया गया तो अदालत ने प्रारंभ में सवाल उठाया कि जब पहले ही इस मुद्दे पर निर्णय दिया जा चुका है तो इस तरह की याचिकाएं बार-बार क्यों दाखिल की जा रही हैं।
\याचिकाकर्ता दीपक यादव जो स्वयं प्रैक्टिसिंग वकील हैं, उनके वकील ने बताया कि गौरव कुमार फैसले से पहले यूपी बार काउंसिल 16,500 रुपये एनरोलमेंट फीस के रूप में ले रही थी। हालांकि फैसले के बाद भी काउंसिल ने एनरोलमेंट फीस 750 रुपये तक सीमित करने के बजाय प्रैक्टिस सर्टिफिकेट के नाम पर 14,000 रुपये लेना जारी रखा है। इस संबंध में यूपी बार काउंसिल का आधिकारिक पत्र भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
“यह मुद्दा पहले ही गौरव कुमार के 30 जुलाई, 2024 के फैसले से सुलझा दिया गया। हमें 20 जुलाई, 2025 का एक पत्र दिखाया गया, जो प्रथम दृष्टया हमारे पूर्व निर्देशों के प्रतिकूल है। नोटिस जारी किया जाता है।”
ध्यान देने योग्य है कि हाल ही में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया या राज्य बार काउंसिल्स एनरोलमेंट के लिए वैधानिक फीस से अधिक कोई वैकल्पिक फीस नहीं ले सकतीं।
केस टाइटल: दीपक यादव बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया