BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती से सांसद नवनीत राणा का Scheduled Caste Certificate बरकरार रखा, बॉम्बे एचसी का फैसला रद्द किया

Update: 2024-04-04 06:56 GMT

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने वाली अमरावती की सांसद नवनीत कौर राणा को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 अप्रैल) को बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। हाईकोर्ट ने उनका अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र (Scheduled Caste Certificate) रद्द कर दिया था।

जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि स्क्रूटनी कमेटी ने उचित जांच और प्रासंगिक दस्तावेजों पर विचार करने के बाद राणा के जाति सर्टिफिकेट को मान्य किया। ऐसे में इसमें हाईकोर्ट का हस्तक्षेप उचित नहीं है।

राणा की अपील स्वीकार करते हुए और हाईकोर्ट का फैसला रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति द्वारा पारित सत्यापन आदेश बहाल कर दिया।

संक्षेप में कहें तो राणा ने 2021 के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जहां यह देखा गया कि उन्होंने धोखाधड़ी से 'मोची' जाति सर्टिफिकेट प्राप्त किया था। हालांकि रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि वह 'सिख-चमार' जाति से संबंधित हैं।

यह मानते हुए कि 'चमार' और 'सिख चमार' शब्द पर्यायवाची नहीं हैं, हाईकोर्ट ने कहा,

"हमारे विचार में 'चमार' और 'सिख चमार' शब्द पर्यायवाची नहीं हैं। 'सिख चमार' शब्द पर्यायवाची नहीं हैं। यह भारत के संविधान (अनुसूचित जाति), आदेश 1950 की अनुसूची II की प्रविष्टि 11 के तहत निर्धारित 'मोची' शब्द का पर्याय नहीं है।"

यह माना गया कि स्क्रूटनी कमेटी ने भारतीय संविधान (अनुसूचित जाति), आदेश 1950 की अनुसूची II की प्रविष्टि 11 में संशोधन करके प्रविष्टि 11 में 'सिख चमार' जाति को पढ़ा, जो स्वीकार्य नहीं है।

हाईकोर्ट के फैसले को उद्धृत करने के लिए "जांच समिति के पास संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 की अनुसूची में प्रविष्टियों के विपरीत किसी भी दस्तावेज़ की व्याख्या करने की कोई शक्ति नहीं है। यदि जांच समिति की ऐसी व्याख्या कानून के विपरीत पाई जाती है तो पता चलता है विकृति और यदि किसी आवेदक द्वारा संविधान के साथ धोखाधड़ी की जाती है तो इस न्यायालय के पास ऐसे विकृत और धोखाधड़ी से प्राप्त आदेश में हस्तक्षेप करने और उसे रद्द करने की पर्याप्त शक्ति और कर्तव्य है।"

हाईकोर्ट का यह भी विचार था कि राणा नियमों के साथ पढ़े जाने वाले जाति सर्टिफिकेट अधिनियम की धारा 8 के तहत अपने ऊपर डाले गए सबूत के बोझ का निर्वहन करने में विफल रही। इस फैसले के कारण महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से सांसद का चुनाव अमान्य हो गया।

व्यथित होकर, उसने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उनके पूर्वज सिख-चमार जाति से है, जिसमें 'सिख' धार्मिक उपसर्ग है और इस जाति से संबंधित नहीं है। उसका मामला यह था कि वह 'चमार' जाति से है।

जून, 2021 में सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने राणा का जाति सर्टिफिकेट रद्द करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। अब, हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की अनुमति दे दी गई।

नवीनतम घटनाक्रम में राणा, जो 2019 में अमरावती से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनी गई थी, उनको भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अमरावती से लड़ने के लिए टिकट दिया।

केस टाइटल: नवनीत कौर हरभजनसिंह कुंडल्स @ नवनीत कौर रवि राणा बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य। | सिविल अपील नंबर 2741-2743/2024

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