समय सीमा बढ़ाने के लिए ट्रायल जज सीधे सुप्रीम कोर्ट को न लिखें: सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया निर्देश

Update: 2025-11-14 12:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बार फिर उस प्रथा पर असंतोष जताया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के जज सीधे सुप्रीम कोर्ट को पत्र भेजकर ट्रायल पूरी करने के लिए निर्धारित समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध करते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ऐसी सभी संचार प्रक्रियाएँ हाईकोर्ट के माध्यम से ही भेजी जानी चाहिए।

जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ को बताया गया कि ट्रायल कोर्ट के जज ने समय विस्तार मांगते हुए एक आवेदन दाखिल किया है, लेकिन उसमें आवश्यक विवरण नहीं दिए गए थे। इस पर जस्टिस महेश्वरी ने नाराज़गी जताते हुए पूछा:

“हम इन पत्रों को कैसे entertain करें? हमने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में भी यही किया गया था और उन्होंने नीति बनाई। अगर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं, तो जज को जिला जज को बताना चाहिए था, फिर जिला जज इसे पोर्टफोलियो जज को भेजते, और समिति इसकी सिफारिश करती। सीधे हमारे पास कैसे आ सकते हैं?”

मामले की पृष्ठभूमि:

यह मामला परिवारिक विवाद से संबंधित है। 20 मार्च को सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने आदेश दिया था कि ट्रायल को तेज किया जाए और 6 महीने में पूरा किया जाए। इसके बाद मामला निपटा दिया गया।

इसके बाद ट्रायल कोर्ट के एक जज ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में समय बढ़ाने के लिए आवेदन दाखिल कर दिया।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने निर्देश दिया कि एक बेहतर शपथपत्र हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से दाखिल किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट का पहले का निर्देश

मई 2024 में Durgawati @ Priya v. CBI मामले में भी जस्टिस महेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा था कि:

• ट्रायल जज सीधे सुप्रीम कोर्ट को आवेदन न भेजें।

• हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को ऐसे मामलों की प्रगति की निगरानी करनी चाहिए।

• यदि समय विस्तार चाहिए, तो तत्काल पर्यवेक्षी अधिकारी की संतुष्टि के बाद रजिस्ट्रार जनरल या रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल ही सुप्रीम कोर्ट को प्रस्ताव भेजें।

SOP बनाने का निर्देश

खंडपीठ ने सभी हाईकोर्ट्स को निर्देश दिया कि वे एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार करें, जिसमें यह तय किया जाए कि—

• जिन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई या तय समय में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया हो,

• ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से कैसे और किस स्तर पर संचार किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह व्यवस्था आवश्यक है ताकि न्यायिक प्रक्रिया में अनुशासन बना रहे और ट्रायल कोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करने की गलत प्रथा बंद हो।

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