सुप्रीम कोर्ट ने मैसूर में श्री जगतगुरु शिवरात्रि राजेंद्र महास्वामीजी की प्रतिमा के अनावरण पर रोक लगाई
मैसूरु के गन हाउस सर्कल में पूर्व सुत्तूर संत स्वर्गीय श्री जगतगुरु शिवरात्रि राजेंद्र महास्वामीजी की प्रतिमा के निर्माण के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को याचिकाकर्ता-सुब्रमण्यम के पक्ष में अंतरिम राहत देते हुए प्रतिमा के अनावरण पर रोक लगाई।
जनहित याचिका की प्रकृति में दायर याचिका में 2 जनवरी, 2024 के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर हमला किया गया, जिसने मूर्ति के अनावरण के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने पाया कि हालांकि याचिकाकर्ताओं ने जोरदार दावा किया कि प्रतिमा का अनावरण 4 जनवरी को किया जाना था, लेकिन विवाद के समर्थन में कोई सामग्री नहीं दिखाई गई।
दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने प्रथम दृष्टया पाया कि सार्वजनिक स्थान पर प्रतिमा का निर्माण भारत बनाम गुजरात राज्य मामले में अदालत के 18 जनवरी, 2013 के पहले के आदेश के विपरीत है।
उपरोक्त आदेश के अनुसार, राज्यों और/या केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, फुटपाथों और अन्य सार्वजनिक उपयोगिता स्थानों पर किसी भी मूर्ति की स्थापना या किसी संरचना के निर्माण की अनुमति नहीं देगी।
तदनुसार, प्रतिमा के अनावरण पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई। मामले को अगली बार 22 जनवरी, 2024 को विचार के लिए सूचीबद्ध किया गया।
कथित तौर पर स्वर्गीय श्री जगतगुरु शिवरात्रि राजेंद्र महास्वामीजी की प्रतिमा गन हाउस सर्कल (मैसूर पैलेस के पास) में उर्स समुदाय के सदस्यों की आपत्तियों के बीच बनाई गई, जिनका दावा है कि प्रतिमा का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है और अवैध रूप से किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील: दामा शेषाद्री नायडू; एओआर मैसर्स धर्मप्रभास लॉ एसोसिएट्स; चन्द्रशेखर ए. चकलब्बी, एसके पांडे, अवनीश कुमार, अंशुल राय, अभिनव गर्ग और नागेंद्र नायक।
केस टाइटल: सुब्रमण्य बनाम कर्नाटक राज्य, अपील के लिए विशेष अनुमति (सी) नंबर 928/2024
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