सुप्रीम कोर्ट ने पुणे में गणपति विसर्जन के लिए ढोल-ताशा-जंज टोलियों में सदस्यों की संख्या सीमित करने के NGT के आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (पश्चिमी क्षेत्र) पीठ द्वारा जारी निर्देश पर रोक लगा दी कि पुणे में गणपति विसर्जन जुलूस के दौरान प्रत्येक टोली में ढोल+ताशा+जंज सदस्यों की कुल संख्या 30 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने NGT के निर्देश के खिलाफ दायर अपील पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।
पीठ ने अपील पर सुनवाई की, जब अपीलकर्ता ने तत्काल उल्लेख किया कि मामले की जल्द सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि विसर्जन 17 सितंबर को होना है।
अपीलकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट अमित पाई ने कहा कि गणेश उत्सव का पुणे के लिए गहरा सांस्कृतिक महत्व है। उन्होंने कहा कि अपीलकर्ता गणेश चतुर्थी समारोह के दौरान ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए NGT द्वारा जारी अन्य निर्देशों से असंतुष्ट नहीं हैं।
NGT ने ढोल-ताशा-जंज समूहों की कुल संख्या को प्रति समूह केवल 30 तक सीमित करने के साथ-साथ प्रत्येक गणेश पंडाल के आसपास ध्वनि प्रदूषण की वास्तविक समय निगरानी और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया।
NGT द्वारा निर्देश
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. विजय कुलकर्णी की एनजीटी पीठ ने 30 अगस्त के अपने आदेश में निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
(1) MPCB (महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) प्रत्येक गणपति पंडाल में/के आसपास कम से कम 3 स्थानों पर वास्तविक समय में शोर की निगरानी करेगा।
(2) विसर्जन जुलूस के दौरान MPCB पुलिस विभाग के परामर्श से प्रमुख यातायात जंक्शनों पर वास्तविक समय में शोर की निगरानी करेगा। साथ ही वास्तविक समय में ध्वनि प्रदूषण को दर्शाने के लिए उचित आकार का डिजिटल डिस्प्ले सिस्टम लगाएगा।
(3) पुलिस विभाग MPCB के परामर्श से प्रत्येक गणेश मंडल के मामले में स्कूल/अस्पताल/आवासीय परिसरों की निकटता को ध्यान में रखते हुए स्थान के आधार पर लाउडस्पीकरों की कुल क्षमता (अधिकतम 100 वाट) तय करेगा।
(4) पुलिस विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि विसर्जन जुलूस के दौरान प्रत्येक मंडल में ढोल+ताशा+जंज सदस्यों की कुल संख्या 30 से अधिक नहीं होगी।
(5) उपरोक्त निर्देशों के उल्लंघन के मामले में पुलिस जब्त करेगी।
(6) पुलिस को सूचित करना होगा कि विसर्जन जुलूस में टोल (धातु से उच्च शोर करने वाली इकाई) और डीजे का उपयोग निषिद्ध है। उल्लंघन के मामले में पुलिस दोषी/दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी।
(7) शोर नियमों के उल्लंघन के मामलों में पुलिस आपराधिक कानून लागू करेगी।
(8) विसर्जन के सात दिनों के भीतर MPCB शोर नियम, 2000 के उल्लंघनकर्ताओं के नाम दो स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित करेगा और ऐसे मामलों का विवरण अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड करेगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसी जानकारी 90 दिनों के लिए सार्वजनिक उपयोग के लिए सुलभ हो।
(9) MPCB पुणे के समाचार पत्रों/बैनरों/पोस्टरों में गणेश उत्सव से पहले उपरोक्त निर्देशों का व्यापक प्रचार करेगा।