दिल्ली हाईकोर्ट ने पुरानी पेंशन योजना के अर्धसैनिक बलों/सीएपीएफ कर्मियों पर भी लागू करने का दिया आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

Update: 2024-08-12 12:34 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस निर्देश पर रोक लगाई, जिसमें कहा गया कि पुरानी पेंशन योजना अर्धसैनिक बलों/सीएपीएफ कर्मियों पर भी लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट ने उस निर्देश पर अंतरिम रोक की पुष्टि की, जिसमें कहा गया था कि सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के अनुसार पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) अर्धसैनिक बलों/केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों पर भी लागू होगी।

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए भारत संघ को अनुमति देते हुए यह आदेश पारित किया, जिसके तहत पवन कुमार और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य में हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार प्रतिवादियों/सीएपीएफ कर्मियों की याचिकाओं का निपटारा किया गया। पवन कुमार मामले में यह माना गया कि अर्धसैनिक बल संघ के सशस्त्र बल हैं और पुरानी पेंशन योजना उन पर लागू होती है।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संक्षिप्त सुनवाई में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (संघ की ओर से) ने बताया कि प्रतिवादी देश के रक्षा बलों के साथ समानता की मांग कर रहे हैं और हाईकोर्ट ने माना है कि ओपीएस का लाभ सीएपीएफ के सभी कर्मियों पर लागू होगा।

दूसरी ओर, एडवोकेट अंकुर छिब्बर ने प्रतिवादियों (सीएपीएफ कर्मियों) की ओर से अनुरोध किया कि मामले में निश्चित तारीख दी जाए। हालांकि, इस अनुरोध को इस टिप्पणी के साथ अस्वीकार कर दिया गया कि मामला इतना जरूरी नहीं है। इसकी सुनवाई में कुछ समय लगेगा।

मामले को फिर से सूचीबद्ध करते हुए न्यायालय ने 15 सितंबर, 2023 को हाईकोर्ट के निर्देश पर लगाए गए अंतरिम स्थगन की पुष्टि की। जो भी हो, पक्षकारों को शीघ्र सुनवाई के लिए आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी गई।

संदर्भ के लिए, पवन कुमार के फैसले के अनुसार, जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने CrPF, BSF, CISF और ITBP के कर्मियों को ओपीएस का लाभ देने से इनकार करने वाले आदेशों को रद्द करने की मांग करने वाली 82 याचिकाओं का निपटारा किया।

याचिकाकर्ताओं का मामला यह था कि विभिन्न न्यायालय के निर्णयों, सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बावजूद कि CrPF संघ का सशस्त्र बल है। भारत सरकार द्वारा दिनांक 06.08.2004 को जारी अधिसूचना में कहा गया कि CrPF संघ का सशस्त्र बल है, अधिकारी याचिकाकर्ताओं को ओपीएस के तहत कवर नहीं कर रहे थे, जैसा कि भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के मामले में है।

उनकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने संघ को 8 सप्ताह के भीतर उचित आदेश जारी करने का निर्देश दिया और कहा कि पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने वाली दिनांक 22.12.2003 की अधिसूचना और दिनांक 17.02.2020 का कार्यालय ज्ञापन "तत्काल लागू होगा।" जहां तक ​CrPF का सवाल है, हाईकोर्ट ने अखिलेश प्रसाद बनाम मिजोरम संघ शासित प्रदेश (1981) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया और माना कि CrPF सशस्त्र बलों का एक हिस्सा है।

इसने आगे कहा,

"इसके अलावा, गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने 6 अगस्त, 2004 के परिपत्र के माध्यम से स्पष्ट किया कि गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत केंद्रीय बलों को संघ के सशस्त्र बलों के रूप में घोषित किया गया।"

हाईकोर्ट ने भारत सरकार के पेंशन और पीडब्लू विभाग द्वारा जारी ओएम पर भी ध्यान दिया।

कोर्ट ने कहा,

"दिनांक 22.12.2003 की पूर्वोक्त अधिसूचना; दिनांक 06.08.2004 के स्पष्टीकरण पत्र और दिनांक 17.12.2020 के कार्यालय ज्ञापन के अवलोकन से पता चलता है कि BSF, CISF, CrPF, ITBP, NSG, असम राइफल्स और SSB गृह मंत्रालय के अधीन केंद्रीय बलों का हिस्सा हैं और दिनांक 22.12.2003 की अधिसूचना (नई अंशदायी पेंशन योजना के लिए) इन बलों के कर्मियों पर लागू नहीं होगी।"

संवैधानिक योजना का उल्लेख करते हुए हाईकोर्ट ने कहा,

"स्पष्ट रूप से भारत के संविधान की VII अनुसूची की सूची 1 प्रविष्टि 2 के साथ अनुच्छेद 246 में भारत संघ के सशस्त्र बलों की परिकल्पना की गई, जिसमें "नौसेना, सैन्य और वायु सेना; संघ के कोई अन्य सशस्त्र बल" शामिल हैं। इसलिए सीएपीएफ के कर्मियों को ओपीएस का लाभ मिलना चाहिए, जैसा कि अधिसूचना दिनांक 22.12.2003 के माध्यम से प्रदान किया गया।"

केस टाइटल: भारत संघ और अन्य बनाम लोकेश कुमार आर्य, एसएलपी (सी) नंबर 21758/2023 (और संबंधित मामले)

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